तेलंगाना के मुलुगु जिले में शनिवार को नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है, जब CPI (माओवादी) के 8 सक्रिय सदस्यों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें एक डिविजनल कमेटी मेंबर (DVCM) और दो एरिया कमेटी मेंबर (ACM) भी शामिल हैं, जो महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखते हैं।
आत्मसमर्पण की अहम बातें:
- आत्मसमर्पण मुलुगु के एसपी शाबरिश पी. के समक्ष हुआ।
- जनवरी 2025 से अब तक तेलंगाना में कुल 355 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
- इनमें से 68 सिर्फ मुलुगु जिले में सरेंडर हुए।
सरकार की योजनाओं ने बदला मनोबल
तेलंगाना सरकार द्वारा सरेंडर करने वाले माओवादियों के लिए चलाई जा रही पुनर्वास और कल्याण योजनाएं जैसे:
- रोजगार और कौशल विकास प्रशिक्षण
- शिक्षा की सुविधा
- परिवार के साथ पुनर्वास
- आर्थिक सहायता और सामाजिक सुरक्षा
इन योजनाओं ने माओवादियों को मुख्यधारा में लौटने और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।
केंद्र और राज्य की रणनीति: माओवाद पर चोट
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने “ऑपरेशन समर्पण” जैसी रणनीति अपनाई।
- माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में:
- सुरक्षा बलों की मौजूदगी मजबूत की गई
- विकास योजनाएं (सड़क, बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र) तेजी से लागू की गईं
- स्थानीय लोगों का भरोसा जीतने पर जोर दिया गया
इससे माओवादियों का जनाधार कमजोर होता गया।
पुलिस की स्थानीय लोगों से अपील:
- पुलिस ने छत्तीसगढ़ सीमा से सटे गांवों के ग्रामीणों से अपील की कि वे:
- माओवादियों को शरण न दें
- उनकी गतिविधियों की सूचना तुरंत दें
- ग्रामीणों से सहयोग मांगा गया ताकि अमन और विकास सुनिश्चित किया जा सके।
तेलंगाना में माओवादियों का आत्मसमर्पण एक बड़ा संकेत है कि नक्सलवाद कमजोर पड़ता जा रहा है। सरकार की सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा आधारित तीन-स्तरीय रणनीति ने इसका असर दिखाया है। यदि यह रुझान जारी रहा तो आने वाले वर्षों में भारत के अधिकांश हिस्सों से माओवादी हिंसा का सफाया संभव है।