8 सितंबर की देर रात गोइलकेरा के काशीजोड़ा गांव में देर रात नक्सलियों का एक हथियारबंद दस्ता बीएसएफ से सेवानिवृत एक जवान सुखलाल पूर्ति के घर पहुंचा। आवाज देकर उन्हें घर के बाहर बुलाया गया और उसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद नक्सलियों ने उनके शव को गोइलकेरा-चाईबासा सड़क पर लाकर रख दिया। इसके साथ वहां एक पर्चा छोड़ दिया, जिसमें लिखा था कि पुलिस मुखबिरी करने वाले का अंजाम यही होगा। नक्सलियों ने सुखलाल पर मुखबिरी का आरोप लगाया गया था। बता दें कि पश्चिमी सिंहभूम में पिछले 20 दिन में नक्सलियों ने छह लोगों की हत्या की है।
इस घटना पर पश्चिमी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान जारी है। नक्सलियों में इसी बात की बौखलाहट है। इसलिए वे इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। यानी पुलिस यह बताना चाह रही है कि उनकी ओर से लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसके बाद भी नक्सलियों का दुस्साहस कम होने का नाम नहीं ले रहा है। उल्टे कई बार नक्सलियों की ओर से हमले किए जाते रहे हैं। इसका अर्थ तो यही निकल रहा है कि नक्सलियों तक पुलिस की कार्रवाई की जानकारी पहले ही पहुंच जा रही है। इसलिए सवाल यह भी उठता है कि नक्सलियों तक पुलिस कार्रवाई की जानकारी कौन पहुंचा रहा है!
पिछले कई महीनों से पश्चिमी सिंहभूम के कई क्षेत्र नक्सलियों के कब्जे में हैं। कई विकास कार्यों को भी बाधित करने का काम किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर कुछ महीने पहले चक्रधरपुर थाना क्षेत्र के जर्की गांव के समीप चक्रधर और बंद गांव प्रखंड को जोड़ने के लिए वर्षों से एक पुल की मांग की जा रही थी। ग्रामीणों की मांग पर करोड़ों की लागत से मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत पुल का निर्माण भी शुरू हुआ था। इसी बीच हथियारबंद माओवादियों ने निर्माण स्थल पर पहुंचकर पुल निर्माण में लगे कर्मियों को पर्चा दिया और पर्चे में पूरी योजना का 10% कमीशन देने को कहा गया। इसके बाद भी नक्सलियों का ऐसा आतंक है कि पुल निर्माण में शामिल ठेकेदारों द्वारा मामला दर्ज नहीं किया गया था।
इधर झारखंड सरकार दावा करती है कि राज्य में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है, लेकिन जिस तरह से नक्सलियों की गतिविधियां दिनों—दिन बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में झारखंड सरकार के दावे खोखले नजर आ रहे हैं।