बिहार के मधुबनी में दलित-पिछड़ों के नाम वाली जमीन पर अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय बनाने की मंजूरी के बाद बवाल हो गया है। सैकड़ों की संख्या में निकलकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ धरने पर बैठ गए। लोगों का कहना है कि जिस जमीन पर अल्पसंख्यक विद्यालय बनाने की मंजूरी दी गई है, उस जमीन की रसीद यहाँ के लोगों के नाम कटी है।
मामला मधुबनी के बिस्फी प्रखंड क्षेत्र के उसौथू गाँव से जुड़ा है। इस गाँव के साथ-साथ आसपास के लोग उसौथू डीह में धरने पर बैठ गए हैं। बता दें कि 17 सितंबर 2024 को प्रशासन ने यहाँ की जमीन पर लगी हुई फसल को जोतकर हटा दिया था। जिलाधिकारी के आदेश पर अल्पसंख्यक विभाग ने लगभग 5 एकड़ जमीन को ‘अतिक्रमण मुक्त’ कराकर इस दावा करने वाले वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था।
इस जमीन पर सरकार अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय का निर्माण करवा रही है। इसकी शुरुआत दो दिन पहले ही की गई है। हालाँकि, लोगों ने अल्पसंख्यक विद्यालय के निर्माण कार्य को बंद करवा दिया है। लोगों के विरोध को देखते हुए पुलिस-प्रशासन भी वहाँ से लौट गया है। इसकी सूचना मिलने पर बिहार सरकार के भूमि एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल भी सक्रिय हो गए।
जायसवाल ने स्थानीय भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल से बात की और उनसे कहा कि वे इस संबंध में विभाग को एक आवेदन विभाग को दें। आगे का काम विभाग करेगा। धरना पर बैठे लोगों का कहना है कि जिस जमीन को सरकार ने अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय के आवंटित किया है, उस जमीन की रसीद उन लोगों के नाम से कटी है। ऐसे में उस जमीन पर आवासीय विद्यालय कैसे बनाया जा सकता है।
वक्फ बोर्ड इस जमीन पर अपना दावा करता है। वहीं, कुछ लोग इस जमीन को बिहार सरकार की तो कुछ लोग भारत सरकार का कहते हैं। यह जमीन लगभग 5 एकड़ की है। यहाँ बनने वाले आवासीय अल्पसंख्यक विद्यालय की लागत 60 करोड़ रुपए है। बचौल ने कहा कि जमीन वक्फ बोर्ड की है या बिहार सरकार या भारत सरकार की या दलित-पिछड़ों की, सबसे पहले इसकी जाँच होनी चाहिए।
धरने का नेतृत्व कर रहे स्थानीय भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि इस हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र में अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय बनाने से सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार यहाँ केन्द्रीय विद्यालय बनवाना चाह रही है। इसके लिए जिला प्रशासन को राशि भी आवंटित की जा चुकी है, लेकिन पिछले सात सालों से जमीन नहीं मिलने के कारण इसका निर्माण नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस जगह पर अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय की जगह केंद्रीय विद्यालय का निर्माण होना चाहिए। इससे हर समाज के बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे। इस जमीन पर अल्पसंख्यक विद्यालय के निर्माण का विरोध जारी रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 17 सितंबर को जिन लोगों की फसल प्रशासन ने जोतकर बर्बाद की है, उन्हें इसका मुआवजा दिया जाए।