गोल्ड खरीद की वैश्विक दौड़: क्या चल रहा है?
हाल के महीनों में भारत, चीन और अन्य कई बड़े देशों के केंद्रीय बैंक तेजी से सोना खरीद रहे हैं, और यह सिर्फ परंपरा या शौक नहीं है — यह आर्थिक रणनीति है।
गोल्ड खरीद की वैश्विक दौड़: क्या चल रहा है?तो आखिर देश सोना क्यों खरीद रहे हैं?1. “Safe Haven” यानी संकट का साथी2. फिएट करेंसी पर घटता भरोसा3. भूराजनीतिक तनाव (Geopolitical Tension)4. विदेशी मुद्रा भंडार को विविध बनाना (Diversification)किन देशों के पास है सबसे ज्यादा सोना?RBI की ताज़ा गोल्ड रिपोर्ट (2025)निष्कर्ष: आने वाले वर्षों में क्या उम्मीद करें?
भारत का गोल्ड रिजर्व अब 879.58 टन हो चुका है, जबकि चीन के पास 2,290 टन से ज्यादा सोना है। अमेरिका, जर्मनी, रूस और फ्रांस जैसे देश तो पहले ही बड़े गोल्ड रिजर्व होल्डर हैं।
तो आखिर देश सोना क्यों खरीद रहे हैं?
1. “Safe Haven” यानी संकट का साथी
- सोना को “सेफ एसेट” कहा जाता है क्योंकि यह अस्थिर वैश्विक माहौल में भी अपनी वैल्यू को बरकरार रखता है।
- जब डॉलर कमजोर होता है, बाजार गिरते हैं या युद्ध की स्थिति होती है, तो सोना एक भरोसेमंद संपत्ति के रूप में सामने आता है।
2. फिएट करेंसी पर घटता भरोसा
- डॉलर, यूरो जैसी मुद्राओं की वैल्यू ग्लोबल घटनाओं से प्रभावित होती है, जबकि सोना अपेक्षाकृत स्थिर रहता है।
- बढ़ती मुद्रास्फीति और ब्याज दरों की अनिश्चितता के चलते केंद्रीय बैंक सोने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
3. भूराजनीतिक तनाव (Geopolitical Tension)
- रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष, चीन-ताइवान तनाव आदि से विश्वव्यवस्था में अनिश्चितता है।
- देश इस अनिश्चितता से बचाव के लिए सोने को रिजर्व में जोड़ रहे हैं।
4. विदेशी मुद्रा भंडार को विविध बनाना (Diversification)
- पहले विदेशी मुद्रा भंडार में अधिकतर डॉलर होते थे। अब देश सोना मिलाकर फंड को डाइवर्सिफाई कर रहे हैं, ताकि किसी एक मुद्रा की गिरावट से ज्यादा नुकसान न हो।
किन देशों के पास है सबसे ज्यादा सोना?
रैंक | देश | कुल गोल्ड रिजर्व (टन में) |
---|---|---|
1 | अमेरिका | 8,133.5 टन |
2 | जर्मनी | ~3,350 टन |
3 | इटली | ~2,450 टन |
4 | फ्रांस | ~2,430 टन |
5 | चीन | ~2,290 टन |
6 | रूस | ~2,300 टन |
7 | भारत | 879.58 टन |
RBI की ताज़ा गोल्ड रिपोर्ट (2025)
- 31 मार्च 2025 तक RBI के पास गोल्ड रिजर्व: 879.58 टन
- पिछले साल से बढ़ोतरी: +57.58 टन
- गोल्ड वैल्यू में वृद्धि: +57%
- यह दिखाता है कि भारत सरकार ने गोल्ड को मजबूत रणनीतिक एसेट माना है।
निष्कर्ष: आने वाले वर्षों में क्या उम्मीद करें?
गोल्ड की डिमांड बढ़ती रहेगी, खासकर जब:
- डॉलर कमजोर होगा
- युद्ध या वैश्विक संकट बढ़ेंगे
- केंद्रीय बैंक अपना भंडार संतुलित रखना चाहेंगे