उत्तर प्रदेश सरकार संभल को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राजेन्द्र पेंसिया (संभल जिलाधिकारी) ने जानकारी दी कि संभल माहात्म्य के अनुसार, यह शहर तीर्थनगरी है और यहां 87 देव तीर्थ एवं 5 महातीर्थों का वर्णन मिलता है।
🔹 तीर्थ स्थलों की खोज और सौंदर्यीकरण
- अब तक 60 देव तीर्थों की पहचान हो चुकी है, जबकि बाकी तीर्थों की खोज जारी है।
- 44 तीर्थ स्थलों से अतिक्रमण हटाकर उनके सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है।
- इस कार्य के लिए वंदन योजना, नगर परिषद के 15वें वित्त आयोग और पर्यटन एवं धार्मिक विभाग के बजट का उपयोग किया जा रहा है।
- एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर राज्य सरकार को भेजी जाएगी।
🔹 पुराने कुओं का पुनर्जीवन और जल संरक्षण
- जिले में मौजूद प्राचीन कुओं को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई गई है।
- इन कुओं को “जलतीर्थ” कहा जाता था, इसलिए इन्हें संरक्षित करना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना आवश्यक है।
🔹 24 कोसी परिक्रमा और तीर्थ पर्यटन
- सरकार 48 किलोमीटर लंबी 24 कोसी परिक्रमा के संपूर्ण विकास की योजना पर कार्य कर रही है।
- इस परियोजना के पूरा होने के बाद संभल एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा।
🔹 राज्य सरकार का दृष्टिकोण
राज्य सरकार संभल को एक प्रमुख तीर्थ और पर्यटन क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और जिले के सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।