अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण को लेकर एक और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है — मंदिर में कुल 45 किलोग्राम शुद्ध (24 कैरेट) सोने का उपयोग किया गया है। यह जानकारी राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने सार्वजनिक की। उनका यह बयान राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के एक दिन बाद, 6 जून को सामने आया।
राम मंदिर में सोने का उपयोग — मुख्य बिंदु:
- 45 किलोग्राम खरा सोना:
- मंदिर के भूतल पर बने दरवाजों, भगवान राम के सिंहासन, और राम दरबार की सज्जा में शुद्ध सोने का व्यापक रूप से इस्तेमाल हुआ है।
- शेषावतार मंदिर में भी सोने का कार्य अभी जारी है।
- सोने का मूल्य (5 जून 2025 के अनुसार):
- 24 कैरेट सोने की कीमत ₹99,750 प्रति 10 ग्राम है।
- यानी 1 किलो सोना = ₹99,75,000
- 45 किलो सोना = ₹44,88,75,000 (लगभग 44.89 करोड़ रुपये)
राम मंदिर निर्माण की स्थिति (जून 2025):
- मुख्य मंदिर का ढांचा पूर्ण:
भगवान राम के दिव्य स्वरूपों की प्राण प्रतिष्ठा के साथ पहला तल पूरी तरह तैयार हो गया है। इसमें भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान विराजमान हैं। - बाकी ढांचों का कार्य प्रगति पर:
- संग्रहालय (म्यूजियम)
- सभागार (ऑडिटोरियम)
- अतिथि गृह (गेस्ट हाउस)
- इनका निर्माण कार्य जारी है और इसे दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश व्यवस्था:
- राम दरबार में प्रवेश सीमित संख्या में ही संभव होगा।
- इसके लिए श्रद्धालुओं को पास लेना होगा, जो निःशुल्क (Free) जारी किए जाएंगे।
- पास व्यवस्था लागू की गई है ताकि भीड़ प्रबंधन में सहूलियत हो और श्रद्धालु सुगमता से दर्शन कर सकें।
- प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।
प्राण प्रतिष्ठा का महत्व:
- 5 जून 2025 को राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा विधिविधान से की गई थी।
- यह मंदिर के आध्यात्मिक रूप से जागृत होने का प्रतीक है — जिससे अब यह पूजा योग्य पवित्र स्थल बन चुका है।
राम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक संरचना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और राष्ट्रीय आत्मगौरव का प्रतीक है। इसमें लगाया गया 45 किलो सोना न केवल इसकी दिव्यता को दर्शाता है, बल्कि श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा और योगदान का भी प्रतीक है। मंदिर परिसर का शेष निर्माण कार्य दिसंबर 2025 तक पूर्ण हो जाएगा और तब यह संपूर्ण रूप से देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य तीर्थस्थल बन जाएगा।