प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की शुरुआत ने दुनिया भर में सनातन धर्म और भारतीय परंपराओं के प्रति गहरी रुचि और आकर्षण को फिर से उजागर किया है। इस बार महाकुंभ के आयोजन में एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी, लॉरेन पॉवेल, का अपनी 40-सदस्यीय टीम के साथ पहुंचना इसे विशेष बना रहा है।
लॉरेन पॉवेल का महाकुंभ में योगदान:
- सनातन धर्म में आस्था और गुरु-शिष्य संबंध:
- लॉरेन पॉवेल सनातन धर्म के प्रति गहरी आस्था रखती हैं और अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरी को पिता समान मानती हैं।
- स्वामी कैलाशानंद, जो निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं, ने भी उन्हें अपनी बेटी माना है और उनका नाम बदलकर कमला रखा है।
- महाकुंभ में साधु जीवन अपनाना:
- लॉरेन भगवा चोला धारण किए, रुद्राक्ष की माला पहने साधुओं की संगत में साधना और सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत कर रही हैं।
- वह कल्पवास कर रही हैं, जो महाकुंभ में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अनुष्ठान है।
- महाकुंभ के शाही स्नान में भागीदारी:
- लॉरेन पॉवेल 14 जनवरी (मकर संक्रांति) और 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) को शाही स्नान करेंगी, जो कुंभ के सबसे शुभ अवसरों में से हैं।
- काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा:
- प्रयागराज आने से पहले, उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
महाकुंभ और अंतरराष्ट्रीय आकर्षण:
- लॉरेन पॉवेल जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों का महाकुंभ में शामिल होना इस आयोजन के महत्व को वैश्विक स्तर पर रेखांकित करता है।
- महाकुंभ न केवल भारत की आध्यात्मिक धरोहर को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह विश्वभर के लोगों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है।
स्वामी कैलाशानंद और लॉरेन पॉवेल का संबंध:
- स्वामी कैलाशानंद के मार्गदर्शन में लॉरेन पॉवेल ने सनातन धर्म को आत्मसात किया।
- स्वामी कैलाशानंद ने बताया कि लॉरेन को अच्युत गोत्र में दीक्षित किया गया है।
महाकुंभ के प्रभाव:
- महाकुंभ का यह आयोजन एक बार फिर दुनिया को यह दिखाता है कि भारतीय आध्यात्मिक परंपराएं सीमाओं से परे जाकर सभी को जोड़ने की शक्ति रखती हैं।
- लॉरेन पॉवेल का यहां आना एक उदाहरण है कि कैसे भारतीय संस्कृति और गुरु-शिष्य परंपरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को प्रेरित करती है।
महाकुंभ 2025, अपने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ, न केवल भारतीय श्रद्धालुओं बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।