उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो ‘सांप्रदायिक सौहार्द्र’ पूरे सिद्धांत को ही ध्वस्त करके रख देती है। जिस जगह पर कभी हिंदुओं ने मुस्लिमों को तजिया रखने की अनुमति दी, उसे मुस्लिम समाज अपना बताने लगा है। इतना ही नहीं, उस जमीन पर दिवार भी खड़ी कर दी गई है।
जिस जमीन को लेकर मुस्लिम समुदाय बवाल कर रहा है, वह हिंदुओं की है। जाँच में पता चला है कि आज से 36 साल पहले भारी बारिश के कारण मुस्लिमों को तजिया रखने की जगह नहीं मिली तो हिंदुओं ने यहाँ तजिया रखने की इजाजत दी थी।
स्थान देने के बाद बाद से इसी जगह पर तजिया का आयोजन किया जाने लगा। अब बशीरगंज स्थित इस जमीन पर मुस्लिम पक्ष अपना दावा जताने लगा है और इसका नाम भी इमाम चौकी कर दिया है। जबकि यहाँ इमाम चौकी का कोई वजूद नहीं है।
पुलिस की जाँच में सामने आया है कि पहले ताजिया बशीरगंज पाकड़ के पेड़ के नीचे रखे जाते थे। 36 साल पहले वर्षा की वजह से वह स्थान पानी में डूब गया, तब स्वामी श्री शिव नारायण जी संत समाज गुरुद्वारा सेवा समिति ने अपने परिसर में ताजिया रखने की इजाजत दी थी।
अगले दो साल भी बारिश हुई तो ताजिया यहीं रखी गई। इस दौरान अखाड़ा वालों ने कोई एतराज नहीं किया। इताजिया अखाड़ा परिसर में रखा गया, जिसमें अब भी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। सके बाद से मुस्लिम समाज ने यहीं ताजिया रखना शुरू कर दिया।
इस स्थान का नाम भी इमाम चौकी कर दिया गया। तब से यह स्थान इमाम चौकी कहलाने लगा। बाद में वहाँ एक दीवार खड़ी करके इमाम चौकी कहलाने वाली उस जमीन को अखाड़ा से अलग कर दिया गया। समिति के पास चार बीघा में फैला एक अखाड़ा, गुरुद्वारा, छह कमरे और एक बगीचा है।
इस मामले में संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश ने बताया कि गुरुद्वारा सेवा समिति का नेतृत्व गणेश दास सोनकर के हाथों में है। वर्ष 2020-21 में समिति का नवीनीकरण किया गया है। अगर अखाड़ा समिति ताजिया रखने की इजाजत नहीं देता है तो उन्हें पुराने स्थान पर भेजा जाएगा।
बता दें कि पिछले दिनों इमाम चौकी के पास लगे एक पोस्टर को फाड़ने पर विवाद हो गया था। इसको लेकर इलाके में तनाव फैल गया था। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने मामले में जाँच के आदेश दिए थे। जाँच के बाद अब स्थिति साफ हो गई है।