उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आपदा प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल करते हुए राज्य के सभी 75 जिलों में सिविल डिफेंस व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। इस कदम से राज्य भर में आपातकालीन स्थितियों से निपटने की क्षमता को नया बल मिलेगा, साथ ही युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
मुख्य बिंदु: सिविल डिफेंस विस्तार योजना
- नोटिफिकेशन जारी: राज्यपाल कार्यालय से 30 मई को अधिसूचना जारी
- पहले कहां था सक्रिय:
- 1962 में 15 जिलों में शुरुआत
- 2015 में 11 और जिलों में विस्तार
- अब तक केवल 24 जिलों में सीमित थी यह व्यवस्था
- अब: पूरे 75 जिलों में सिविल डिफेंस कोर का गठन
प्रमुख जिम्मेदारियां और उद्देश्य
- आपात स्थिति में जीवन और संपत्ति की रक्षा
- प्रशासन को सहायता देना (बाढ़, आग, दुर्घटनाएं, दंगे, युद्धकाल जैसी स्थितियों में)
- स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर तैयार करना
- मानसिक और सामाजिक मनोबल को बनाए रखना
- नागरिक सुरक्षा कोर की 12 सेवाएं, जैसे:
- बचाव, अग्निशमन, संचार, शव निस्तारण, हताहत सेवा
- वार्डेन सेवा, प्रशिक्षण सेवा, कल्याण सेवा
- लावारिस संपत्ति सुरक्षा, पूर्ति, साल्वेज, परिवहन आदि
संगठन और प्रशासनिक संरचना
- हर जिले के जिलाधिकारी होंगे सिविल डिफेंस कोर के कमांडेंट
- मुख्य विकास अधिकारी और एडीएम (वित्त एवं राजस्व) देखेंगे भूमि व प्रशासनिक तैयारियां
- पदों का सृजन, भवन व संसाधनों की व्यवस्था जिलास्तर पर
नए 49 जिलों में सिविल डिफेंस गठन होगा (चयनित जिले):
- अंबेडकरनगर, अमेठी, औरैया, उन्नाव, बहराइच, बलिया, बिजनौर, बदायूं, देवरिया, जालौन, जौनपुर, कासगंज, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, प्रतापगढ़, रामपुर, रायबरेली, शाहजहांपुर, सीतापुर, सुलतानपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर आदि
मंत्री का बयान
“यह कदम न सिर्फ नागरिक सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि गांवों और कस्बों में युवाओं को तैयार करके आपदा की घड़ी में तेजी से राहत पहुंचाने में मदद करेगा।”
— धर्मवीर प्रजापति, होमगार्ड व नागरिक सुरक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल राज्य को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में स्वावलंबी और तत्पर बनाने की दिशा में मील का पत्थर है। स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित बल होने से बाढ़, आगजनी, दुर्घटनाएं, और अन्य आपदाओं के समय प्रभावी व त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सकेगी।