संभल में विवादित जामा मस्जिद के सामने पुलिस चौकी बनने के बाद पूरे शहर को ही वक्फ सम्पत्ति बता दिया गया है। संभल का 4 किलोमीटर का इलाका वक्फ की सम्पति होने का दावा एक फर्जी वक्फनामे में किया गया है। इसको लेकर जिला प्रशासन को कुछ कागज भी कुछ मुस्लिमों ने दिए थे। जिन लोगों ने दावा किया है, उनके खिलाफ अब कार्रवाई की तैयारी हो रही है। संभल के जिला प्रशासन ने अब कई वक्फ संपत्तियों की जाँच करवाने की बात कही है, मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा।
मुस्लिमों ने क्या दावा किया?
संभल में मुस्लिमों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जामा मस्जिद के 4 किलोमीटर चौहद्दी का इलाका ही वक्फ की सम्पत्ति बता दिया है। उन्होंने दावा किया कि 1929 में किसी अब्दुल समद नाम के आदमी ने यह सारी सम्पत्ति मदरसा बनाने के लिए वक्फ को दे दी थी। संभल में विवादित जामा मस्जिद के सामने बनाई गई पुलिस चौकी, शहर की कोतवाली और यहाँ तक कि कल्कि मंदिर को भी वक्फ की सम्पत्ति बता दिया गया है। इसको लेकर संभल जिले के डीएम राजेन्द्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई को मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल ने कुछ कागज सौंपे हैं।
डीएम-एसपी ने क्या बताया?
दोनों अधिकारियों ने इस संबंध में गुरुवार (2 जनवरी, 2025) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इन दावों की सच्चाई बताई है। संभल जिले के डीएम राजेन्द्र पैंसिया ने कहा, “संभल जिले के विवादित धर्मस्थल के सामने बन रही सत्यव्रत चौकी को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल हमसे मिला था और कुछ कागज सौंपे थे। उन्होंने कहा था कि विवादित धर्मस्थल के चारों तरफ 4 किलोमीटर का इलाका वक्फ है… 23 अगस्त, 1929 को मोहम्मद अब्दुल समद का किया गया एक बिना रजिस्टर्ड वक्फनामा सामने आया है। इसमें नम्बर 1 से लेकर नम्बर 20 तक की संपत्तियों का जिक्र है।” डीएम पैंसिया ने आगे बताया, “इस दावे को लेकर 3 सदस्यीय समिति बनाई गई थी। इसमें SDM, CO और EO ने जाँच की है। लेकिन अभी तक इन जमीनों को लेकर किसी ने हमारे सामने मालिकाना हक़ का दावा नहीं रखा है। इसके अलावा इस वक्फनामे में दर्ज संपत्तियों की जाँच करवाने पर इनमें रहने वाले किसी व्यक्ति या किसी रिकॉर्ड का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। तीसरी बात यह है कि दो गाँवों के 4 किलोमीटर के बीच दूरी की जमीन वक्फ बताई गई है, ये बिना रजिस्टर्ड है और ना ही इसका कोई मालिक है। इसमें मालिकाना हक़ भी नहीं दिया है।”
डीएम पैंसिया ने इसके बाद जमीनों के वक्फ होने को लेकर दावे को लेकर प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा कि कथित वक्फनामे में संभल जिले की हजारों बीघा जमीन वक्फ को दी गई और कहा गया कि यह मदरसा निर्माण के लिए है। उन्होंने प्रश्न पूछा कि क्या मदरसा बनाने के लिए हजारों बीघा जमीन दी जाती है, इसके अलावा इस वक्फनामे में यह जिक्र नहीं है कि मदरसा कहाँ बना है या बनेगा। डीएम ने बताया कि इस वक्फनामे में कल्कि मंदिर, पुलिस चौकियाँ, डाकघर, कोतवाली और कल्कि मंदिर समेत सब पर दावा कर दिया गया है।
फर्जी लगते हैं दावे
डीएम संभल राजेन्द्र पैंसिया ने कहा है कि अगर इन संपत्तियों को वक्फ मान भी ले तो इनका मौखिक रूप से क्रय-विक्रय कैसे हो रहा है। उन्होंने कहा कि जाँच के आधार पर इसमें संपत्तियों पर किए गए दावे और वक्फनामे में लगाए गए कागज फर्जी मालूम होते हैं। इसमें अब आगे हम कानूनी कार्रवाई करेंगे। एसपी कृष्ण बिश्नोई ने कहा है कि दिए गए वक्फनामे के आधार पर तो संभल की कोतवाली भी वक्फ सम्पत्ति है। उन्होंने कहा है कि अब सब वक्फ सम्पत्ति की जाँच होगी और जहाँ भी फर्जीवाड़ा मिलेगा, उस मामले में मुकदमा कायम होगा।
संभल एसपी ने बताया है कि अब इस वक्फनामे के मामले में फर्जीवाड़े पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा और जाँच के आधार पर लोगों को आरोपित बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संभल में वक्फ की संपत्तियों की अगर खरीद-बिक्री अवैध तरीके से हुई है तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा है कि इस मामले में भी मुकदमे दर्ज किए जाएँगे।
प्रशासनिक दृष्टिकोण:
- DM और SP की स्पष्टता कि वक्फनामा फर्जी है, प्रशासनिक सख्ती का संकेत देती है।
- फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई और संपत्तियों की व्यापक जांच से यह मामला और गंभीर हो सकता है।
- सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन को इस मुद्दे को संवेदनशीलता से संभालना होगा।
संभावित प्रभाव:
- सांप्रदायिक तनाव: इस विवाद के चलते शहर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।
- कानूनी लड़ाई: फर्जी वक्फ संपत्ति के दावों को लेकर लंबी कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
- राजनीतिक प्रभाव: यह मामला राजनीतिक रंग ले सकता है, खासकर वक्फ बोर्ड और स्थानीय संगठनों के बीच।
वक्फनामे में जनपद की हजारों बीघा भूमि का बैनामा
डीएम ने कहा कि जिस भूमि की बात की जा रही है, उसकी वास्तविकता क्या है. वक्फनामे में जनपद संभल की हजारों बीघा भूमि का बैनामा कर दिया गया. जबकि मोहम्मद समद ने अपनी संपत्ति का उल्लेख नहीं किया है. वक्फनामे में लिखा है कि अपनी संपत्ति को मदरसे का निर्माण के लिए दे रहा हूं. क्या कोई व्यक्ति हजारों बीघा भूमि मदरसे के निर्माण के लिए दे सकता है? 1 से 20 तक की संपत्तियों में कहां मदरसा बनना है? कहां इसका निर्माण होना है? इसका उल्लेख नहीं है. नगर पालिका के आसपास के क्षेत्र में सरकारी स्थान, पुलिस थाना, पुलिस चौकी, विवादित धर्म स्थल, तहसील, डाक घर, श्री कल्कि मंदिर सभी उसी के चौहद्दी में आ रहा है. 50 रुपए के स्टांप पर है, जो कि अनरजिस्टर्ड है. डीएम ने कहा कि तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम दृष्टया संपत्ति 1 से 20 तक यह फर्जी प्रतीत हो रही है. साथ में सलंग्न वक्फ नामा के दस्तावेज भी फर्जी प्रतीत हो रहे हैं.
सदर कोतवाली भी वक्फ संपत्ति
SP कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि अभी तक के जो कागजात हैं, उनका अवलोकन करने पर पाया गया है कि संभल की 1905 में बनी सदर कोतवाली भी वक्फ की जमीन है. उन्होंने बताया कि इस तरह के जो कागजात प्रस्तुत किए गए हैं. जितने भी वक़्फ़ संपत्ति के कागजात हैं, उन सभी की जांच करवाई जाएगी. जिन-जिनमें वक़्फ़ 1995 का सेक्शन 56 है और उसका जो वायलेशन हुआ है, उन सबकी भी जांच कराई जाएगी. जहां-जहां इसके वायलेशन (उल्लंघन) पाया जाएगा. फर्जीवाड़ा करके डॉक्यूमेंट तैयार कर जो भी एग्रीमेंट किया गया है, उससे जो नुकसान हो रहा है, उन सभी पर भी कार्रवाई की जाएगी. एसपी ने बताया कि इस प्रकरण में एसडीएम और सीओ ने जो रिपोर्ट दी है, उसके आधार पर एक मुकदमा दर्ज किया जाएगा. फिलहाल मुकदमा अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया जाएगा. बाद में जिन-जिन लोगों के द्वारा कागजात वक्फ में दिए गए होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. संभल का 4 किलोमीटर का पूरा एरिया वक्फ की संपत्ति में दर्ज है.