पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए गोपनीय सैन्य जानकारी लीक करने वाले एक जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शनिवार (31 मई 2025) सुबह देश के 15 से ज्यादा ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की। यह कार्रवाई उस समय शुरू हुई जब एक सीआरपीएफ जवान को गिरफ्तार किया गया, जो बीते दो वर्षों से भारत की सैन्य गतिविधियों की सूचनाएं पाकिस्तान को भेज रहा था।
कहां-कहां हुई छापेमारी?
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पश्चिम बंगाल (कोलकाता): पार्क सर्कस, अलिपुर, बेनियापुकुर, खिदिरपुर
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अन्य राज्य: दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, असम
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कुल स्थान: 15 से अधिक
जांच एजेंसियों को क्या पता चला?
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गिरफ्तार सीआरपीएफ जवान ने आईएसआई के लिए स्लीपर सेल तैयार किए थे।
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वह जम्मू-कश्मीर में सैन्य अभियानों, खुफिया दस्तावेजों और आंतरिक गतिविधियों से संबंधित जानकारी पाकिस्तान भेज रहा था।
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उसके नेटवर्क में शामिल लोगों ने कोलकाता से सिम कार्ड हासिल कर जासूसी के लिए इस्तेमाल किया था।
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जांच एजेंसियों को शक है कि कोलकाता में आईएसआई के एक्टिव मॉड्यूल या संपर्क सूत्र मौजूद हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का लिंक
इस छापेमारी की जड़ें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी हुई हैं, जिसके तहत पहले भी कुछ लोगों को भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया था।
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पकड़े गए यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा से पूछताछ में खुलासा हुआ कि:
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वह देश विरोधी प्रचार का हिस्सा था।
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आईएसआई के संपर्क में रहकर सूचनाएं फैला रहा था।
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इसी से जुड़े सुरागों पर देशभर में कार्रवाई शुरू की गई।
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सिम कार्ड रैकेट की भूमिका
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कोलकाता से कई संदिग्ध सिम कार्ड जब्त किए गए हैं, जिन्हें बिना वैध पहचान पत्रों के हासिल किया गया था।
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इन सिमों का प्रयोग कोडेड कम्युनिकेशन और जासूसी संवाद के लिए किया गया।
अब तक की कार्रवाई
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गिरफ्तारियां: सीआरपीएफ जवान, यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा
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संदिग्धों पर नजर: कई अन्य संभावित आरोपी निगरानी में
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एनआईए का बयान: अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं, लेकिन सूत्रों के अनुसार और गिरफ्तारियां संभव हैं।
क्यों है यह मामला गंभीर?
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यह मामला केवल एक जवान के भटकने का नहीं, बल्कि संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा सूचनाओं की जासूसी नेटवर्क द्वारा सुनियोजित चोरी का है।
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इससे यह भी साफ होता है कि आईएसआई भारत में बहुस्तरीय नेटवर्क बना चुका है, जिसमें आम नागरिक, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट, और सिक्योरिटी बलों के लोग भी शामिल हो सकते हैं।
आगे क्या हो सकता है?
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एनआईए और आईबी संयुक्त रूप से डिजिटल ट्रेल्स, बैंकिंग लेन-देन, सिम डेटा और कॉल रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं।
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विदेशी फंडिंग, सोशल मीडिया के जरिए संपर्क और डार्क वेब तक की पड़ताल हो रही है।
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कुछ राजनीतिक संरक्षण या मौलवी नेटवर्क की भूमिका की भी जांच की जा रही है।