पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए बांग्ला भाषा का पेपर अनिवार्य कर दिया है. साथ ही हिंदी, संथाली और उर्दू को खत्म कर दिया है. परीक्षा में आने वाले बांग्ला भाषा के सवालों का स्तर माध्यमिक (10वीं) के समकक्ष रखा गया है. हालांकि, ये अचानक लागू नहीं किया गया बल्कि पहले पुलिस जवानों की नियुक्ति में बांग्ला को अनिवार्य किया गया. इसके बाद सिविल सर्विसेस की नियुक्तियों में भी इसे अनिवार्य कर दिया गया.
15 मार्च, 2023 से पश्चिम बंगाल में सभी प्रकार की सरकारी नौकरियों के लिए बांग्ला भाषा को अनिवार्य कर दिया है. वहीं, परीक्षाओं से हिंदी, उर्दू और संथाली को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के सरकार ने खत्म कर दिया है. इससे स्पष्ट है कि अब सरकारी नौकरियों में हिंदी, उर्दू और संथाली भाषा के युवक-युवतियों के प्रवेश पर पूर्ण रोक लगा दी गई है.
बंगाल के छात्र-छात्राओं को इससे दिक्कत नहीं है कि बांग्ला को अनिवार्य कर दिया गया है. बल्कि उन्हें इस बात से दिक्कत है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित हिंदी, उर्दू और सांथाली माध्यम के स्कूलों में 10वीं क्लास तक बांग्ला अनिवार्य नहीं है. उनका कहना है कि इन स्कूलों से निकलने वाले बच्चों को बांग्ला भाषा की जानकारी नहीं होती क्योंकि इन स्कूलों में बांग्ला भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है.
छात्रों का कहना है कि वर्ष 1981 से 2023 तक मध्यमा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बांग्ला भाषा में एक वर्षीय प्रमाणपत्र या डिप्लोमा पाठ्यक्रम की व्यवस्था की जानी चाहिए. ताकि वो बांग्ला भाषा की जानकारी हासिल कर सकें और राज्य सरकार द्वारा निकाली जाने वाली सरकारी नौकरियों के लिए योग्य बन सकें.
छात्रों का कहना है कि जब तक हिंदी, उर्दू, संथाली और नेपाली भाषा वाले छात्रों को बांग्ला भाषा सीखने की सुविधा नहीं दी जाती, तब तक सभी सरकारी नियुक्ति परीक्षा के संबंध में सरकार द्वारा मार्च 2023 में जारी किए गए अधिसूचना को स्थगित रखा जाना चाहिए.