दक्षिण एशिया की मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों को समझने के लिए बेहद अहम है। अमेरिकी Defense Intelligence Agency (DIA) की यह रिपोर्ट भारत, पाकिस्तान, चीन और रूस के बीच सैन्य और कूटनीतिक समीकरणों पर एक रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। नीचे इस रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों और उनके निहितार्थों को सरल भाषा में विश्लेषित किया गया है:
DIA रिपोर्ट के मुख्य बिंदु और विश्लेषण
भारत की प्राथमिक सुरक्षा चिंता: चीन
- भारत, चीन को अपना मुख्य रणनीतिक विरोधी मानता है।
- LAC (Line of Actual Control) पर तनाव कम तो हुआ है, लेकिन विवाद का समाधान नहीं हुआ।
- भारत की रणनीति:
- हिंद महासागर में प्रभाव बढ़ाना
- द्विपक्षीय रक्षा सहयोग (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस जैसे देशों से)
- ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा आत्मनिर्भरता
✅ प्रभाव: भारत वैश्विक शक्ति संतुलन में चीन के खिलाफ सक्रिय संतुलनकारी भूमिका निभा रहा है।
पाकिस्तान की रणनीति: भारत को अस्तित्व के लिए खतरा मानना
- पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है।
- पाकिस्तान:
- परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहा है।
- चीन से सैन्य और तकनीकी सहायता प्राप्त कर रहा है।
- J-10C, F-17, PL-15 मिसाइलें – चीन से आयातित।
- विदेशी बिचौलियों के ज़रिए हथियार सामग्री प्राप्त करता है।
✅ प्रभाव: पाकिस्तान के परमाणु और सैन्य आधुनिकीकरण से दक्षिण एशिया में अस्थिरता का खतरा बना रहता है, खासकर भारत-पाक संबंधों में।
चीन का रुख: सीमित सैन्य तनाव, लेकिन रणनीतिक प्रतिस्पर्धा जारी
- सीमा तनाव में कुछ कमी आई है (2020 के बाद की स्थिति बेहतर हुई है)।
- लेकिन चीन की विस्तारवादी नीति और BRI जैसी परियोजनाएं भारत के लिए भविष्य का खतरा बनी हुई हैं।
✅ प्रभाव: भारत को सीमा विवाद के समाधान से ज़्यादा रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता पर ध्यान देना पड़ रहा है।
भारत-रूस संबंध: रक्षा साझेदारी में निरंतरता
- भारत रूस से सैन्य आयात घटा रहा है, लेकिन:
- अभी भी रूसी टैंक और विमान के लिए कलपुर्जों पर निर्भर है।
- अग्नि-V और परमाणु पनडुब्बी जैसे आधुनिक हथियारों का जिक्र रिपोर्ट में है।
- भारत-रूस संबंधों में संतुलन बनाए रखने की नीति अपनाई गई है।
✅ प्रभाव: अमेरिका और पश्चिमी देशों से नजदीकी बढ़ाते हुए भी भारत रूस से ऐतिहासिक रणनीतिक रिश्ते नहीं तोड़ना चाहता।
भारत की व्यापक रणनीति
- सुरक्षा प्राथमिकता: चीन > पाकिस्तान
- रणनीतिक लक्ष्य:
- हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभुत्व
- तकनीकी और हथियार आत्मनिर्भरता
- कूटनीतिक संतुलन – अमेरिका, रूस, फ्रांस, इजराइल सभी के साथ संबंध
भारत के लिए संदेश क्या है?
- चीन के खिलाफ बहुपक्षीय रणनीति – भारत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों के साथ मिलकर Indo-Pacific में संतुलन बना रहा है।
- पाकिस्तान को लेकर सीमित ध्यान – भारत की रणनीति अब “Contain & Deter” यानी सीमित करना और रोकना है।
- रूस से रक्षा निर्भरता घटाते हुए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी।
DIA की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारत अब सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन का एक अहम ध्रुव बनता जा रहा है। वहीं पाकिस्तान और चीन की नजदीकी भारत के लिए दोहरा सुरक्षा संकट उत्पन्न करती है, जिसका जवाब भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रक्षा साझेदारियों, घरेलू रक्षा उत्पादन और वैश्विक कूटनीति से दे रहा है।