भारत-पाकिस्तान के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पैदा हुए तनावपूर्ण माहौल में अमेरिका की ओर से पहली बार बड़ा बयान सामने आया है, जिसमें उसने भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यह बयान उस समय आया है जब कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका के दौरे पर है। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य पहुलगाम में हुए आतंकवादी हमले, भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सीमा पार आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की रणनीति को अमेरिकी नेतृत्व के सामने रखना था।
प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका के उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडाउ से मुलाकात की, जिसे दोनों पक्षों ने बेहद “स्पष्ट और सार्थक” बताया। भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर कहा कि बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष ने पहुलगाम आतंकी हमले की क्रूरता, पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों की भूमिका और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीतिक जरूरत पर प्रकाश डाला। जवाब में लैंडाउ ने भी ‘X’ पर पोस्ट करते हुए यह स्पष्ट किया कि “अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है” और दोनों देशों के बीच रणनीतिक और व्यापारिक सहयोग को और गहरा करने की बात की।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने भी इस मुलाकात पर बयान जारी किया और कहा कि अमेरिका भारत के आत्मरक्षा के अधिकार और उसकी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को पूरी तरह समर्थन देता है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों ने आर्थिक विकास, व्यापार, तकनीक और सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
प्रतिनिधिमंडल ने सीनेट की विदेश संबंध समिति के सदस्य सीनेटर क्रिस वान होलेन से भी मुलाकात की और पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद और उसके क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव पर चर्चा की। क्रिस वान होलेन ने भारत में हुए आतंकी हमलों के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अमेरिका की ओर से भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन दिया।
इसके अलावा थरूर ने सीनेटर कोरी बुकर से भी फोन पर बातचीत की, जिसे उन्होंने “गर्मजोशी से भरी और सार्थक” बताया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे—सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), गंटी हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी, भुवनेश्वर कलिता, तेजस्वी सूर्या (भारतीय जनता पार्टी), मिलिंद देवड़ा (शिवसेना) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू।
इस दौरे और अमेरिका की प्रतिक्रिया को भारत के लिए राजनयिक समर्थन और सामरिक सहयोग के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब भारत सीमा पार आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्पष्ट और ठोस समर्थन की मांग कर रहा है। यह घटनाक्रम भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी में एक नई मजबूती और स्पष्टता का संकेत भी है।