अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में पढ़ाई करने वाले भारतीय मूल के छात्र प्रह्लाद अयंगर को फिलिस्तीन के पक्ष में एक पत्रिका में निबंध लिखने के बाद उसके कॉलेज में घुसने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उसे जनवरी 2026 तक के लिए निलंबित किया गया है। इसके कारण उसकी 5 साल की NSF फ़ेलोशिप समाप्त हो गई है। वहीं, एमआईटी कोलिशन अगेंस्ट अपार्थाइड (MCAA) उसके समर्थन में आया है और उसके निलंबन को परिसर में फ्री स्पीच पर हमला बताया है।
प्रह्लाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंस विभाग में Ph.D का छात्र है। साल 2023 में उसे फिलिस्तीन समर्थक रैलियों में भाग लेने के लिए निलंबित कर दिया गया था। एमआईटी के ‘छात्र जीवन’ के डीन डेविड वॉरेन रैंडल द्वारा पत्रिका के संपादकों को एक ईमेल भेजा गया, जिसमें कहा गया कि ऑन पैसिफ़िज़्म नामक निबंध में प्रहलाद द्वारा इस्तेमाल की गई फोटो और भाषा को ‘एमआईटी में विरोध के अधिक हिंसक या विनाशकारी रूपों के आह्वान के रूप में व्याख्या किया जा सकता है।’
ईमेल में निबंध में इस्तेमाल की गई तस्वीरों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित ‘पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन’ का लोगो भी शामिल है। इस पत्रिका के संपादकों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। WBUR से बात करते हुए प्रह्लाद ने अपने निलंबन को फ्री स्पीच का घोर उल्लंघन बताया। अयंगर के अनुसार, “पत्रिका का उद्देश्य हमारे शब्दों में यह बताना था कि हम क्या कर रहे थे, हम ऐसा क्यों कर रहे थे और कैंपस में क्या हो रहा था।”
🚨🚨 MIT is effectively expelling PhD student Prahlad Iyengar for Palestine activism on campus. 🚨🚨
EMERGENCY RALLY: Cambridge City Hall, Monday, 12/9 at 5:30pm. Org sign-on to letter: https://t.co/tCOrOLTeNy pic.twitter.com/7cAYrvn5ad
— MIT Coalition Against Apartheid (@mit_caa) December 8, 2024
MCAA ने एक बयान में कहा कि निलंबन वास्तव में निष्कासन है, क्योंकि इससे अयंगर का शैक्षणिक करियर बाधित होगा। उसने आगे कहा कि उसके उसकी प्रवेश की अनुमति उसी पैनल द्वारा दी जानी चाहिए, जिसने उन्हें निलंबित किया था। MCAA ने कहा, “प्रह्लाद अब चांसलर के समक्ष अपने मामले की अपील कर रहा है, ताकि उसके खिलाफ लगाए गए अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों को रद्द या कम किया जा सके।”
संस्था ने आगे कहा, “हमने एमआईटी के प्रशासन पर दबाव डालने के लिए एक अभियान शुरू किया है, ताकि इतिहास के सही पक्ष पर खड़े छात्रों का अपराधीकरण बंद किया जा सके। हम सभी संगठनों और संस्थानों से आह्वान करते हैं कि वे इसमें शामिल हों और एमआईटी के दमन के खिलाफ खड़े हों।”
वह निबंध जिसके कारण प्रह्लाद को निलंबित कर दिया गया
यह निबंध 7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास द्वारा इजरायल में किए गए आतंकी हमले के जवाब में इजरायल की सैन्य कार्रवाई का विरोध किया गया था और उसके खिलाफ फिलिस्तीन आंदोलन का समर्थन करने के लिए लिखा गया था।
अपने निबंध में प्रह्लाद ने फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन के भीतर शांतिवादी रणनीतियों पर निर्भरता की आलोचना की थी। उसने एमआईटी सहित संस्थानों में विरोध प्रदर्शनों के उद्देश्य को लेकर सवाल उठाए थे। निबंध में अयंगर ने ‘रणनीतिक शांतिवाद’ को अप्रभावी बताया था। उसकी भाषा और रूपरेखा को विश्वविद्यालय परिसरों में विघटनकारी रूपों की वकालत के रूप में व्याख्या की जा सकती है।
प्रह्लाद ने विशेष रूप से ‘रणनीति की विविधता’ की अपील की और प्रतीकात्मक विरोध को अप्रभावी बताया था। उसका निबंध फिलिस्तीन आंदोलन के लिए अपनी आवाज़ उठाने वाले एक्टिविस्ट को चुनौती देता हुआ प्रतीत होता है कि वे ऐसे कार्यों पर विचार करें जो ‘अहिंसा’ तक सीमित ना रहे।
अयंगर के अनुसार, पारंपरिक शांतिवादी दृष्टिकोण सीमित है और इससे अपेक्षित प्रभाव हासिल नहीं होता। उसका मानना था कि यह ‘उस प्रणाली में डिज़ाइन किया गया है जिसके खिलाफ हम लड़ते हैं’। उसने आगे कहा कि शांतिपूर्ण रैलियाँ और गिरफ्तारियाँ एक दिखावा है। ये राजनीतिक नाटक का एक उदाहरण है, जो अपने लोगों की अंतरात्मा को शांत करने के लिए अधिक काम करता है, न कि उस इकाई से कुछ हासिल करने के लिए जो उसी उत्पीड़न को अंजाम दे रही है जिसका वे विरोध कर रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि प्रह्लाद अयंगर ने युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों के लिए एक सैन्य ठेकेदार और योगदानकर्ता के रूप में इसकी भूमिका को उजागर करके एमआईटी के खिलाफ ही द्वार खोल दिए। उसने तर्क दिया कि शांतिवाद से संस्थागत मिलीभगत को चुनौती नहीं दिया जा सकता। इससे विरोध प्रदर्शनों के लिए अधिक टकरावपूर्ण दृष्टिकोणों की गुंजाइश बनी रहती है।
अपने निबंध में उसने लिखा, “हमारे कार्य किसी राज्य के विरोध की अंतर्निहित धारणा का हिस्सा हैं – हम एक तरह से सांस्कृतिक रूप से शांत हैं, न कि जानबूझकर शांतिवादी।” यह धारणा बताती है कि प्रतीकात्मक गिरफ़्तारियाँ सरकार की दमनकारी सिस्टम को रोकने में सक्षम नहीं है। इसे ऐसी रणनीति के रूप में देखा जा सकता है, जिसे सरकार आसानी से समायोजित नहीं कर सकता है।
उसने कार्रवाई के अधिक आक्रामक रूपों में शामिल करने की अनिच्छा का आलोचना की और लोगों को उकसाते हुए कहा, “एक भयानक नरसंहार के एक वर्ष बाद अब समय आ गया है कि आंदोलन तबाही मचाना शुरू कर दे, अन्यथा जैसा कि हमने देखा है यह सब वास्तव में हमेशा की तरह ही चलता रहेगा।” इस तरह अयंगर ने विरोध को हिंसक बनाने के लिए उकसाया।
प्रह्लाद ने आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन के लोगो वाले दो पोस्टर इस्तेमाल किए। इसके साथ ही ‘हर जगह इंतिफ़ादा’ का आह्वान करते हुए एक पोस्ट भी इस्तेमाल किया। दरअसल, इंतिफ़ादा इजरायल के खिलाफ़ फिलिस्तीन की सशस्त्र कार्रवाई (जिसमें आतंकवादी गतिविधियाँ भी शामिल हैं) है। सबसे पहले जो पोस्टर दिखाया गया, उसमें लिखा था, “हम तुम्हारे पैरों के नीचे की ज़मीन जला देंगे”। पोस्टर में एक PFLP आतंकवादी को हथियार के साथ दिखाया गया था।
प्रह्लाद अयंगर द्वारा इस्तेमाल किए गए दूसरे पोस्टर पर अरबी भाषा में लिखा था, “रक्त की एकता: विजय की राह पर एक कदम। यहूदी आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लेबनानी-फिलिस्तीनी संघर्ष अमर रहे।” ये दोनों पोस्टर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किए गए हैं। डीन ने अपने पत्र में कहा है कि ऐसे पोस्टरों के इस्तेमाल को परिसरों में हिंसक विरोध प्रदर्शन के आह्वान के रूप में देखा जा सकता है।
कुछ सालों में बदल गया प्रह्लाद अयंगर
प्रह्लाद के फेसबुक और इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर शेयर किए गए पोस्ट पर नज़र डालने से पता चलता है कि पहले वह एक खुशमिजाज़ लड़का था, जिसे घूमना-फिरना और अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद था। उसका फेसबुक प्रोफाइल साल 2019 में यूरोप भर में अपने दोस्तों के साथ यात्रा करने वाली तस्वीरों से भरा पड़ा था।
हालाँकि, जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन के दौरान चीजें बदल गईं। मई 2020 में उसने एक डार्क-थीम वाली पोस्ट की। उसमें उसने दावा किया कि फ्लॉयड की मौत के बाद पुलिस की बर्बरता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अटलांटा में उथल-पुथल मचने पर उसने विचार किया। उसने निष्क्रिय समर्थन से सक्रिय भागीदारी की ओर बढ़ा और अराजकता को स्वीकार किया।
यह वह समय था, जब अचानक उनकी प्रोफ़ाइल बदल गई और वह एक ऐक्टिविस्ट बन गया। वह विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने लगा। फिर फ़िलिस्तीनी मुद्दे के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हमास के खिलाफ़ इज़रायल की सैन्य कार्रवाई के बाद से वे फ़िलिस्तीनी समर्थक आंदोलन करने लगे। प्रह्लाद अयंगर इसमें भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगा।
प्रह्लाद भारतीय मूल का एक साधारण और जनेऊधारी ब्राह्मण लड़का था, जो अपने जीवन से प्यार करता था। हालाँकि, कैंपस एक्टिविज्म और कैंपस में छात्रों के घोर कट्टरपंथीकरण ने उसका पूरा जीवन बदल दिया। इसके कारण वह प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक एमआईटी से निलंबित कर दिया गया है।