भारत की विदेश नीति में “वसुधैव कुटुंबकम” और “Neighbourhood First” की भावना केवल शब्द नहीं, बल्कि व्यवहारिक स्तर पर भी बार-बार सिद्ध होती रही है। नेपाल को थैलेसीमिया और सिकल सेल जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायता देकर भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह अपने पड़ोसियों के लिए एक विश्वसनीय, संवेदनशील और सक्रिय सहयोगी बना हुआ है।
भारत ने नेपाल को दी चिकित्सा सहायता – मुख्य बिंदु:
📌 1. दवाओं और टीकों की मदद
- भारत ने $3 मिलियन (लगभग ₹25 करोड़) मूल्य की दवाइयां और टीके नेपाल को भेजे हैं।
- इनमें से पहली खेप में 17,030 शीशियाँ टीकों की भेजी गई हैं।
📌 2. किन रोगों के लिए मदद
- थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग, दोनों ही आनुवंशिक रक्त विकार हैं।
- नेपाल में इन बीमारियों से पीड़ितों के इलाज के लिए यह मदद जीवनरक्षक साबित हो सकती है।
📌 3. भारत की नीति का प्रमाण
“Neighbourhood First पॉलिसी की प्रतिबद्धता की पुष्टि।”
— रणधीर जायसवाल, प्रवक्ता, भारतीय विदेश मंत्रालय
- यह कदम भारत की पड़ोसियों को प्राथमिकता देने की नीति (Neighbourhood First) का एक और उदाहरण है।
Reaffirming 🇮🇳's commitment to #NeighbourhoodFirst Policy.
🇮🇳 sends assistance consisting of medicines and vaccines for patients with Thalassemia and Sickle Cell Disease worth $2 million, responding to a request from Nepal.
The 1st tranche of 17,030 vials of Vaccines for… pic.twitter.com/KEEmFT6pia
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) April 25, 2025
भारत-नेपाल संबंधों में मदद की लंबी परंपरा
🔹 कोरोना काल (2020-21)
- भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान के तहत नेपाल को लाखों कोविड वैक्सीन की खुराक भेजीं।
- स्वास्थ्य उपकरण, PPE किट्स और टेस्टिंग किट्स की भी मदद दी गई।
🔹 नेपाल भूकंप (2015)
- भारत ने ‘ऑपरेशन मैत्री’ चलाया।
- राहत सामग्री, सेना की टीमें, हेलीकॉप्टर, इंजीनियर, और डॉक्टरों की बड़ी संख्या नेपाल भेजी गई थी।
विश्लेषण: भारत की भूमिका एक ‘बड़े भाई’ की तरह
- भारत “सहयोगी नेतृत्व” (Cooperative Leadership) की नीति पर चल रहा है, जहां वह न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता चाहता है, बल्कि स्वास्थ्य, आपदा राहत, ऊर्जा, शिक्षा और आधारभूत ढांचे में भी मदद करता है।
- SAARC और BIMSTEC जैसे मंचों पर भी भारत ऐसी ही भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष
भारत की नेपाल को दी गई यह सहायता न सिर्फ मानवीय संवेदना का परिचायक है, बल्कि भविष्य के भारत-नेपाल संबंधों में विश्वास और भरोसे को और गहराई देती है। यह कदम दिखाता है कि भारत केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार पड़ोसी भी है।