पहलगाम आतंकी हमला: भारत की वैश्विक प्रतिक्रिया
📍 हमले की क्रूरता और धार्मिक पहचान पर निशाना
- कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास में स्पष्ट किया कि यह हमला सामान्य आतंकी हमला नहीं, बल्कि धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया नरसंहार था।
- आतंकियों ने पहले लोगों का धर्म पूछा। हिंदू होने के कारण मारा, मुस्लिम होने पर छोड़ा गया।
- यह भारत की धार्मिक सहिष्णुता और एकता को तोड़ने की कोशिश थी।
भारत की परिपक्वता: कोई जवाबी हिंसा नहीं
- थरूर ने कहा कि भारत की जनता ने इस हमले के बाद एकजुटता और धैर्य दिखाया।
- “हमें गर्व है कि भारत में कोई जवाबी हिंसा नहीं हुई।” – शशि थरूर
वैश्विक मंच पर भारत की रणनीति
- मोदी सरकार ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गठित किया, जिसमें सभी विचारधाराओं के नेता शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य: दुनिया को बताना कि भारत आतंकवाद का शिकार है, और हम इससे एकजुट होकर निपट रहे हैं।
- प्रतिनिधिमंडल के सदस्य जैसे शशि थरूर, तेजस्वी सूर्या, मिलिंद देवड़ा आदि ने अमेरिका, गुयाना सहित कई देशों में जाकर भारत का पक्ष रखा।
आतंकी संगठन TRF की जिम्मेदारी
- द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले के एक घंटे के भीतर जिम्मेदारी ली।
- थरूर ने पाकिस्तान का नाम सीधे नहीं लिया, लेकिन इशारा स्पष्ट था: हम जानते हैं हमले की जड़ कहाँ है।
कश्मीर की प्रगति को रोकने की साजिश
- शशि थरूर ने कहा कि कश्मीर में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है।
- आतंकी ताकतें इसे रोकना चाहती हैं ताकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद का सकारात्मक बदलाव न दिखे।
भारत-गुयाना सहयोग और समर्थन
- गुयाना के प्रधानमंत्री ने भारत की प्रतिक्रिया, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर, का समर्थन किया।
- गुयाना ने UNSC में भी भारत के रुख का समर्थन किया।
- CARICOM जैसे संगठनों में भारत के पक्ष में खड़े रहना गुयाना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत ने पहलगाम हमले को केवल सुरक्षा मुद्दा नहीं, बल्कि मानवता और अंतरराष्ट्रीय नैतिकता का मामला बनाकर दुनिया के सामने रखा। थरूर जैसे विपक्षी नेताओं को भी शामिल करके मोदी सरकार ने यह संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत सामूहिक राष्ट्रीय चेतना से लड़ेगा, न कि केवल राजनीतिक बयानबाजी से।