म्यांमार के ‘थ्री ब्रदरहुड एलायंस’ ने सैन्य शासन के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है. विद्रोही समूह सैन्य शासन को लगातार चुनौती दे रहे हैं. वे टैंक, रॉकेट लॉन्चर और अन्य हथियार और गोला-बारूद जब्त कर रहे हैं. विद्रोहियों के आगे सेना मानो घुटने टेकने पर मजबूर हो गई है. उन्होंने रविवार को ही एक और बड़ी सफलता का दावा किया. विद्रोही लड़ाकों ने बताया जा रहा है कि चीन की सीमा से लगे उत्तरी शान राज्य में एक और प्रमुख ट्रेड गेट पर कब्जा कर लिया है. समूह ने दर्जनों मिलिट्री चेकपोस्ट पर भी कब्जा किया. इससे खासतौर पर चीन बौखलाया हुआ है.
‘थ्री ब्रदरहुड एलायंस’ में म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी शामिल हैं. वे लंबे समय से शान राज्य के प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. समूह में एक अराकान आर्मी भी शामिल है, जो खासतौर से रखाइन राज्य में एक्टिव है. म्यांमार सात राज्यों में बंटा है और इसी में एक राज्य है चिन, जहां चिन समुदाय की बड़ी आबादी है. मैप पर अगर गौर करें तो पाएंगे कि इसकी सीमा भारत से लगती है. विद्रोहियों ने इसे पहले ही चिनलैंड घोषित कर रखा है, जहां उन्होंने सेना की एंट्री बैन कर रखा है.
100 से ज्यादा चौकियों पर विद्रोही समूहों का कब्जा
म्यांमार के सैन्य शासकों की मुश्किलें और इसलिए भी बढ़ गई हैं, क्योंकि देश के सबसे बड़े बामर समुदाय ने भी मोर्चा खोल दिया. बामर समुदाय की आबादी देश में 70 फीसदी है. शुरुआती दौर में सिर्फ चिन और केरंस जैसे कुछ छोटे समुदायों ने ही हथियार उठाया था लेकिन अब देश की लगभग आबादी सेना के खिलाफ हो गई है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रदरहुड एलायंस 100 से भी ज्यादा सैन्य चौकियों को अपने कब्जे में ले लिया है. इस विद्रोही एलायंस के अलावा कुछ जातीय समूह भी हैं, जो हाल के महीनों में आक्रामक हुए हैं.
स्थानीय विद्रोह से बौखलाया चीन
सैन्य शासन का खर्चा-पानी चीन पर निर्भर है, जिसके ट्रेड रूट को विद्रोही समूहों ने ब्लॉक कर दिया. म्यांमार के सात राज्यों चिन, काचिन, काया, कायिन, मोन, राखीन और शान हैं और इनमें शान से राखीन तक चीन का ट्रेड रूट फैला है. ट्रेड रूट बंद होने से चीन को बड़े नुकसान का डर सता रहा है. सैन्य शासन का कहना है कि कमोबेश 200 ट्रक शान राज्य के बाहर एंट्री का इंतजार कर रहे हैं. अब जबकि विद्रोहियों ने म्यांमार के उत्तरी शान राज्य के महत्वपूर्ण कस्बों पर कब्जा कर लिया है, चीन-म्यांमार का लैंड-ट्रेड रूट ठप पड़ गया है.
आम नागरिकों पर विस्फोटक हथियारों से हमला
शान राज्य में अपनी सफलताओं के बाद, विद्रोहियों ने 13 नवंबर से पश्चिम में राखीन राज्य में हमले तेज कर दिए हैं. विद्रोहियों के मुताबिक, ऑपरेशन तेजी से आगे बढ़ा है, कई चेक पॉइंट्स पर सेना ने हथियार डाल दिए और सरेंडर कर दिया. इसके खिलाफ सेना ने हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. पहली बार नहीं है जब जुंटा अपने ही नागरिकों पर हवाई हमले कर रही है. तख्तापलट के बाद से ही यह सिलसिला जारी है.
बीते महीने ही जुंटा ने काचिन राज्य में एयर स्ट्राइक किया, जिसमें 13 बच्चों समेत 29 लोग मारे गए. तख्तापलट के बाद से सैकड़ों विस्फोटक हथियारों से आम नागरिकों को निशाना बनाया गया है, जिसमें कमोबेशन 2800 आम नागरिक मारे गए हैं. लेकिन अब, देखा जा रहा है कि सैन्य शासन अब तक 1027 के रूप में चलाए जा रहे ऑपरेशन का मुकाबला करने में असमर्थ साबित हुई है. विद्रोही सेना को घात लगाकर निशाना बना रहे हैं, और या तो वे सरेंडर कर दे रहे हैं, या फिर उन्हें अपने पांव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
क्या सैन्य शासन को विद्रोही गिरा सकते हैं?
यह कहना जल्दबाजी होगी कि विद्रोहियों का जॉइंट अटैक जुंटा यानी सैन्य शासन को गिरा सकता है. हालांकि, एक्सपर्ट कह रहे हैं कि वे फरवरी 2021 के तख्तापलट के बाद से सेना को सबसे बड़ी चुनौती दे रहे हैं. सेना के जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने 2021 के तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, और चुनी हुई सरकार को हटा दिया. देश को गृहयुद्ध में झोंक दिया, जिसमें हजारों लोग मारे गए.
अपने आपको पुतिन मानते हैं जनरल मिन
जनरल मिन अपने आपको रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दूसरा रूप मानते हैं. मसलन, जिस तरह पुतिन ने अपने विरोधियों को हमेशा के लिए चुप करा दिया, ठीक उसी राह पर मिन भी चल रहे हैं. उन्होंने लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई आंग सांग सू की को सत्ता से बेदखल कर दिया और उन्हें ताउम्र के लिए जेल में डाल दिया. इसके विरोध में स्थानीय लोग सड़क पर उतरे, जिनपर सेना ने खौफनाक प्रहार किया, जहां सैकड़ों लोग मारे गए.