भारत में कोरिया गणराज्य के दूतावास के मंत्री सांग-वू लिम (मिशन के उप प्रमुख) ने एक बयान में कहा है कि दक्षिण कोरिया की जन्म दर बहुत तेजी से घट रही है और दक्षिण कोरियाई सरकार कुशल और अकुशल दोनों तरह के श्रमिकों के लिए भारत सरकार से बातचीत कर रही है. शिक्षा के क्षेत्र में, दक्षिण कोरिया में विदेशी छात्रों, विशेषकर भारतीय स्टूडेंट्स, को आकर्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.
साउथ कोरिया और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए, भारत में कोरिया गणराज्य के दूतावास और कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र, भारत ने कार्यक्रम ‘दक्षिण कोरियाई राजनयिक के साथ बातचीत’ आयोजित तैयार किया है. इस कार्यक्रम में राजनयिक दक्षिण कोरिया का परिचय देने के लिए भारतीय स्कूलों का दौरा करते हैं. यह कार्यक्रम एक राजनयिक की भूमिका और महत्व की गहन जानकारी देता है, छात्रों के लिए यह एक नया अनुभव है.
भारत में कोरिया गणराज्य के दूतावास के मंत्री सांग-वू लिम (मिशन के उप प्रमुख) का एक व्याख्यान माउंट आबू पब्लिक स्कूल ऑडिटोरियम, रोहिणी में आयोजित किया गया था. स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने मंत्री का स्वागत किया, कार्यक्रम में 300 छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया.
मंत्री सांग-वू लिम ने अपने व्याख्यान में ‘शांति निर्माता’ के रूप में राजनयिक की भूमिका का परिचय दिया. उन्होंने भारत और कोरिया के साझा अतीत, गतिशील संबंध-उन्मुख वर्तमान और भविष्य के लिए दोनों देशों के बीच तालमेल पर आधारित दक्षिण कोरियाई संस्कृति के बारे में विस्तार से बात की.
देखा जाए तो कोरियाई संस्कृति को लेकर भारत मे रुचि बढ़ रही है खासतौर से छात्रों के बीच में. चाहे वह कोरियाई भोजन, संगीत, नाटक या प्रौद्योगिकी हो. कक्षा 8 की एक छात्रा भव्या ने कहा कि उसे के-ड्रामा, भोजन, फैशन और संगीत पसंद है.
जल्द ही दक्षिण कोरियाई राजनयिक भारतीय छात्रों को राजनयिक बनने की प्रेरणा देने के लिए अहलकॉन इंटरनेशनल स्कूल और नेशनल विक्टर पब्लिक स्कूल के छात्रों से मिलेंगे.