चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) अपने अगले कदम की तैयारी कर रही है। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार को कहा कि इसरो 2040 तक चंद्रमा पर पहला अंतरिक्ष यात्री भेजेगा। उन्होंने कहा कि हम इस योजना पर पूरी तरह से काम कर रहे हैं। इसरो प्रमुख ने देश के पहले मानवयुक्त मिशन ‘गगनयान’ पर काम के बारे में बताते हुए कहा कि मिशन के लिए चुने गए भारतीय वायु सेना के चार पायलट बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में प्रशिक्षित किए जा रहे हैं।
एक विशेष लेख में उन्होंने बताया कि इसरो का लक्ष्य गगनयान कार्यक्रम के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण में अगला कदम उठाना है। इसमें 2 से 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के दल को लो अर्थ में भेजे जाने की योजना है। इसके बाद उन्हें भारतीय जलक्षेत्र में पूर्वनिर्धारित जगह पर सुरक्षित रूप से उतारा जाएगा। मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन में महत्वपूर्ण तकनीक का विकास शामिल है।
जिसमें एक मानव-रेटेड लांच वाहन (एचएलवीएम 3), एक क्रू माड्यूल (सीएम), सर्विस माड्यूल (एसएम) और मानव के रहने के अनुकूल एक आर्बिटल माड्यूल है। क्रू माड्यूल अंतरिक्ष में चालक दल के लिए पृथ्वी जैसे वातावरण वाला रहने योग्य स्थान है और इसे सुरक्षित पुन: प्रवेश के लिए डिजाइन किया गया है। सुरक्षा उपायों में आपात स्थिति के लिए क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) भी शामिल है।
परीक्षण वाहन (टीवी-डी1) की पहली विकास उड़ान 21 अक्टूबर, 2023 को लांच की गई थी और इसने क्रू एस्केप सिस्टम का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। इसके बाद क्रू माड्यूल को अलग किया गया और बंगाल की खाड़ी से भारतीय नौसेना ने इसे सुरक्षित प्राप्त किया। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि इस परीक्षण उड़ान की सफलता मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण है।
2035 तक चालू हो सकता है भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन सोमनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर भारत की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को चालू करने और वीनस आर्बिटर मिशन और मंगल ग्रह लैंडर की विशेषता वाले अंतरग्रहीय अन्वेषण जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम आने वाले वर्षों में नयी ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।