एक बार फिर पेड मेंस्ट्रुअल लीव पर बहस शुरू हो गई है. पेड मेंस्ट्रुअल लीव यानी वेतन के साथ मासिकधर्म अवकाश. कामकाजी महिलाओं को इस पेड पीरियड लीव के सवाल पर सदन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने असहमति जताई. उन्होंने कहा, यह महिलाओं के जीवन का नेचुरल पार्ट है, इसे किसी कमजोरी की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. अगर पीरियड के दौरान महिलाओं को छुट्टी मिलती है तो यह महिलाओं में भेदभाव की वजह बन सकता है.
राष्ट्रीय जनता दल सांसद मनोज कुमार के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, जो लोग इन प्रक्रिया से नहीं गुजरते, वो इसको लेकर अलग सोच रखते हैं. हमे उनकी सोच को लेकर ऐसा मुद्दा नहीं बनाना चाहिए कि महिलाओं को मिलने वाले समान अवसर कम हो जाएं. इसको लेकर केंद्रीय मंत्री का रुख भले ही अलग हो, लेकिन दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां महिलाओं को पेड मेंस्ट्रुअल लीव दी जा रही है. ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई में महिलाएं ऐसी छुट्टियां का इस्तेमाल कर पा रही हैं.
2017 में भी हुई थी बहस
यह पहला मौका नहीं है, जब पीरियड पेड लीव को लेकर बहस शुरू हुई है. 2017 में कांग्रेस पार्टी के नेता और सांसद निनॉन्ग ने इसको लेकर बिल रखा था. यह पहला मौका था जब संसद में मेन्स्ट्रुएशन बेनिफ़िट बिल, 2017 रखा गया था.
बिल में कहा गया था कि सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को पीरियड के दौरान 2 दिन का अवकाश मिलना चाहिए. इसके लिए बदले उनके पैसे नहीं कटने चाहिए. तब भी बिल को लेकर लोग दो हिस्सों में बंट गए थे. एक वर्ग ने इस बिल की तारीफ की थी और दूसरा वर्ग उस प्रस्ताव से सहमत नहीं था.
निनॉन्ग का कहना था, उन्होंने अपने आसपास ऐसे लोगों के अनुभवों को देखा और समझा. इसके बाद बिल लाने का फैसला लिया. उन्होंने कहा था, मेरी पत्नी पीरियड के दौरान भयानक दर्द का अनुभव करती है. मेरी बेटियां भी इस बारे में आने वाली दिक्कतों को मुझसे साझा करती हैं.
क्या महिलाएं वाकई पेड पीरियड लीव का फायदा उठा पा रहीं?
दुनिया में सबसे पहले पेड पीरियड लीव की शुरुआत स्पेन से हुई. लम्बे विवाद और बहस के बाद इसे लागू किया गया. यह फैसला लेने वाला स्पेन यूरोप का पहला देश बना. स्पेन के अलावा जापान और दक्षिण कोरिया में भी ऐसी छुट्टियां दी जाती हैं.
जापान की मीडिया रिपोर्ट कहती है कि 1965 साल में मात्र 26 फीसदी महिलाओं ने इस छुट्टी का इस्तेमाल किया, लेकिन समय के साथ यह आंकड़ा घटता गया. देश में कितनी महिलाएं इसका इस्तेमाल कर रही हैं, इसको लेकर 2017 में एक सर्वे कराया गया. सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया मात्र 0.9% महिलाओं ने ही पीरियड लीव के लिए आवेदन किया.
दक्षिण कोरिया में भी यही हुआ. 2013 में यहां की मात्र 23.6 फीसदी महिलाओं ने यह छुट्टी ली, लेकिन 2017 तक यह आंकड़ा गिरकर 19.7 फीसदी तक पहुंच गया. दोनों देशों की महिलाओं का कहना था कि वो ये छुट्टियां इसलिए नहीं लेतीं क्योंकि वर्कप्लेस पर भेदभाव का डर रहता है.
स्पेन, जापान और दक्षिण कोरिया के अलावा, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ताइवान, जॉम्बिया और वियतनाम में भी महिलाओं को पेड पीरियड लीव मिल रही है.
भारत में बिहार और केरल में मिल रही पेड लीव
देश के कुछ राज्य हैं, जहां महिलाओं को पेड पीरियड लीव दी जा रही है. भारत में सबसे पहले 1992 में इसकी शुरुआत बिहार में हुई. यहां महिलाओं को हर महीने दो अतिरिक्त छुट्टी दी जाने लगी. इसके बाद केरल में महिलाओं को पेड पीरियड लीव मिलनी शुरू हुई.
सिर्फ राज्य ही नहीं, भारत में ऐसी कई प्राइवेट कंपनियां हैं, जहां महिलाओं को यह छुट्टी दी जाती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जोमैटो, स्विगी, बायजूस समेत हुई कंपनियों ने 2020 में महिला कर्मचारियों को पेड पीरियड लीव देने की शुरुआत की थी.