विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राम हमारी प्रेरणा हैं, हमारी पहचान है, हमारी अस्मिता हैं। प्रभु श्रीराम लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के पश्चात 22 जनवरी को जन्म स्थान पर बन रहे भव्य मंदिर में पुनः विराजमान होंगे। धर्म की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष सदैव से होता आया है, कभी-कभी सृजन के लिए यह आवश्यक भी होता है। श्रीराम जन्मभूमि के लिए 76 बार विकट संघर्ष हुआ, इस संघर्ष में हर भाषा, वर्ग, समुदाय व संप्रदाय के लोगों ने सहभागिता की थी। 25 पीढ़ियों के बलिदान, त्याग और समर्पण के प्रतिफल स्वरूप प्राप्त इस भव्य आयोजन की साक्षी वर्तमान की पीढ़ी बनेगी, जिन्होंने वर्तमान के संघर्ष और विजय को प्रत्यक्ष देखा है। अयोध्या में केवल राम मंदिर की ही नहीं, अपितु राष्ट्र मंदिर व राष्ट्रीय गौरव की नींव पक्की हो रही है।
आलोक कुमार ने कहा कि संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का सूर्योदय हो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि का संघर्ष विश्व का सबसे लंबा संघर्ष है। विश्व हिन्दू परिषद का सबसे बड़ा आंदोलन राम मंदिर के निर्माण के लिए ही किया गया जो 35 वर्ष तक अनवरत चला और लगभग 16 करोड़ रामभक्तों ने इसमें प्रत्यक्ष भाग लिया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर जब श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाना प्रारंभ किया गया तो देश के 12.5 करोड़ परिवार अर्थात 65 करोड़ रामभक्तों ने मंदिर निर्माण में निधि समर्पण कर सहयोग दिया। जिस उत्साह से दो वर्ष पूर्व सकल हिन्दू समाज ने मन्दिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में हिस्सा लिया। उससे दोगुने उत्साह से वो प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में जुटा हुआ है। आगामी 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के दिन संपूर्ण विश्व के 5 लाख से अधिक मंदिरों में संपन्न होने वाले कार्यक्रमों के लिए हम 12.5 करोड़ों से अधिक परिवारों को श्रीराम जन्मभूमि मे पूजित पीले अक्षत (चावल) देकर निमंत्रित करेंगे।
विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड के 16 हजार से अधिक ग्रामों के 20 लाख परिवारों में 1 जनवरी से 15 जनवरी तक पहुंच कर हम संघ परिवार, अन्य हिन्दू और सामाजिक संगठनों के साथ इस भव्य आयोजन के साक्षी बनने का निमंत्रण देने वाले हैं। उत्तराखण्ड के चारधाम सहित प्रत्येक ग्राम, शहर, स्थान के मंदिरों में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के दिन भव्य आयोजन किए जायेंगे। इस हेतू सभी मठ–मंदिर के पुजारियों से संपर्क स्थापित किया गया है। सनातन हिन्दू धर्म की सभी पंथ–धाराओं जैसे जैन, बौद्ध, सिक्खों के गुरुद्वारों और मंदिरों में समस्त हिन्दू समाज हर्षोल्लास के साथ इस अवसर पर सम्मिलित होकर इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनेगा।
विश्व प्रसिद्ध संस्था गंगा सभा हरिद्वार तीन दिवसीय विशेष गंगा आरती के साथ दीपोत्सव के कार्यक्रम का आयोजन करेंगी। उत्तराखण्ड में नानकमत्ता स्थित सिक्खों के पवित्र गुरुद्वारा में भव्य आयोजन किया जाएगा। 14 वर्ष वनवास के पश्चात अयोध्या आगमन का समाचार उत्तराखण्ड की विकट परिस्थितियों वाले दूरस्थ क्षेत्रों में एक माह पश्चात पहुंचा था, तो ईगास बग्वाल के रूप में देव दीपावली का भव्य त्योहार मनाया गया था, जो आज तक मनाया जाता है।
भगवान श्री राम 500 वर्षों के पश्चात अपने मंदिर में विराजमान होंगे यह शुभ समाचार तो 22 जनवरी से पूर्व उत्तराखण्ड के आम जनमानस तक पहुंचेगा तो कैसा अद्भुत दृश्य होगा। 22 जनवरी के बाद श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति में भाग लेने वाले सेनानियों और उनके परिवार को श्रीराम लला के दर्शन करायेंगे ये सौभाग्य हैं कि सर्वप्रथम देवभूमि के लोगों को ही अवसर प्राप्त होगा 27 जनवरी को दर्शन करेंगे। उन्होंने अयोध्या के श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को भारत के इतिहास का एक गौरवशाली दिवस एवं देव दीपावली जैसा बताया और इस शुभ दिन को हिन्दू समाज द्वारा विशेष उत्सव के रूप में मनाने व प्रत्येक सनातनी के घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, आश्रम, मन्दिर तथा सार्वजनिक स्थलों पर इस शुभ अवसर पर दीपदान करने का आह्वान किया।