ईरान में सुरक्षा बलों पर आतंकी हमलों में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई है. यह हमला दक्षिण-पूर्वी ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में दो जगह रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स हेडक्वार्टर पर किया गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मरने वालों में 11 ईरानी सैनिक और 16 अन्य लोग शामिल हैं.
दरअसल राज्य मीडिया ने गुरुवार को कहा कि सुन्नी मुस्लिम आतंकवादियों ने दक्षिणपूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स मुख्यालय पर हमलों में कम से कम 11 ईरानी सुरक्षा बलों समेत 27 लोगों की मौत हो गई.
Last night, 20 suicide bombers from inside Pakistan carried out a major terror attack inside Iran. All of the terrorists were killed, and 11 members of the Iranian police and armed forces were martyred.
Why do all the terrorists attack Iranians, Russians, Chinese, and Syrians? pic.twitter.com/9pBzc6IPyw
— Seyed Mohammad Marandi (@s_m_marandi) April 4, 2024
जैश अल-अदल और सुरक्षा बलों के बीच झड़प
जैश अल-अदल समूह और सुरक्षा बलों के बीच रात भर झड़पें चाबहार और रस्क शहरों में हुईं. उप आंतरिक मंत्री माजिद मिरहमादी ने बताया कि आतंकवादी चाबहार और रास्क में गार्ड मुख्यालय पर कब्जा करने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल होने में विफल रहे.
10 सुरक्षा अधिकारी भी घायल
वहीं इस हमले में गरीब क्षेत्र में लड़ाई में 10 अन्य सुरक्षा अधिकारी भी घायल हो गए, जहां मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम आबादी है. जैश अल-अदल का कहना है कि वह शिया बहुल ईरान में जातीय अल्पसंख्यक बलूचियों के लिए अधिक अधिकार और बेहतर रहने की स्थिति चाहता है. इसने सिस्तान-बलूचिस्तान में ईरानी सुरक्षा बलों पर हाल के वर्षों में कई हमलों की जिम्मेदारी ली है.
मादक पदार्थों की तस्करी
अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा से लगा यह क्षेत्र लंबे समय से ईरानी सुरक्षा बलों और सुन्नी आतंकवादियों के साथ-साथ मादक पदार्थों के तस्करों के बीच अक्सर झड़पों का स्थल रहा है. अफगानिस्तान से पश्चिम और अन्य जगहों पर तस्करी किए जाने वाले नशीले पदार्थों के लिए ईरान एक प्रमुख मार्ग है. दिसंबर में, आतंकवादी समूह ने रस्क शहर में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया, जिसमें 11 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे.
आतंकवादी समूह के ठिकानों को निशाना
जनवरी में, ईरान ने पाकिस्तान में आतंकवादी समूह के दो ठिकानों को मिसाइलों से निशाना बनाया था, जिसके बाद इस्लामाबाद की ओर से एक त्वरित सैन्य जवाबी कार्रवाई में उन लोगों को निशाना बनाया गया, जिनके बारे में कहा गया था कि वे ईरान में अलगाववादी आतंकवादी थे.