मध्य प्रदेश में तीसरे चरण का चुनावी रण बेहद दिलचस्प होने वाला है। इसमें भी तीन ऐसे महामुकाबले हैं, जिन पर सबकी नजर टिकी हुई है। ये हैं मामा, राजा और महाराजा के सियासी युद्ध। मामा यानी शिवराज सिंह चौहान, राजा यानी दिग्विजय सिंह और महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया। तीसरे चरण में मध्य प्रदेश के इन तीनों धुरंधर नेताओं के भाग्य का फैसला होना है।
जहां शिवराज सिंह चौहान 20 साल बाद फिर से विदिशा के संसदीय रण में उतरे हैं तो वहीं दिग्विजय सिंह 33 साल बाद अपने सियासी किले राजगढ़ से मैदान में हैं। इसके अलावा 2019 में गुना से शिकस्त झेलने के बाद अब भाजपा का दामन थाम चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया बदले समीकरण में मैदान में वापस से इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
गुना से सिंधिया की परीक्षा
ज्योतिरादित्य सिंधिया को पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा था, जब सिंधिया परिवार की पारंपरिक सीट गुना से वह हार गए थे। तकरीबन 1.25 लाख वोटों के अंतर से उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। इसके तब भाजपा के केपी यादव ने उन्हें हराया था। हालांकि इस बार सिंधिया खुद भाजपा में आ चुके हैं और उसी के टिकट से मैदान में हैं, ऐसे में समीकरण बदले हुए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी उनके पक्ष में गुना में रैली की थी और कहा था कि जनता सिंधिया को वोट करे और केपी यादव की चिंता न करे क्योंकि भाजपा उनके भविष्य का ख्याल रखेगी। अब आपको दो नेता मिलेंगे। हालांकि अमित शाह के प्रचार के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए राह आसान नहीं होगी, क्योंकि यादव वोटबैंक उनसे छिटका है और 2019 में हार की ये बड़ी वजह रही थी। इसीलिए कांग्रेस ने भी उनके मुकाबले इस बार राव यादवेंद्र सिंह यादव को मैदान में उतारा है।
सियासी किला बचाने की चुनौती
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 33 साल बाद राजगढ़ में अपना सियासी किला बचाने उतरे हैं, लेकिन उनकी राह आसान नहीं होगी, क्योंकि उनका मुकाबला सीट से लगातार दो बार के सांसद रोडमल नागर से है। भाजपा ने उन्हें तीसरी बार यहां से प्रत्याशी बनाया है और वह हैट्रिक बनाने की तमन्ना लेकर चल रहे हैं। दिग्विजय यहां पर लगातार यात्रा कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्षेत्र से अपने 50 वर्ष पुराने रिश्तों की दुहाई देते हुए वर्तमान सांसद पर जनता की उपेक्षा का आरोप भी लगा रहे हैं। लेकिन रोडमल नागर भी मोदी की गारंटी को आगे रखकर मजबूती के साथ मैदान पर टिके हुए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, शिवराज सिंह चौहान सहित कई दिग्गज भाजपा नेता उनके प्रचार के लिए भी आ चुके हैं। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प और कांटे का है।
भोपाल टू दिल्ली वाया विदिशा
केंद्रीय नेतृत्व की ओर से मोहन यादव को भाजपा का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सवाल उठ रहे थे कि अब भाजपा में शिवराज सिंह चौहान की भूमिका क्या होगी, क्या वह मात्र विधायक बनकर ही रहेंगे? लेकिन नेतृत्व ने जल्द ही संकेत दे दिए कि उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी है। इसिलिए 20 साल बाद दोबारा से उन्हें विदिशा संसदीय सीट से चुनाव में उतारा गया।
खुद प्रधानमंत्री मोदी ने विदिशा आकर कहा था कि वह शिवराज को दिल्ली लेकर जा रहे हैं, ऐसे में कयास लग रहे हैं कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। फिलहाल ‘मामा’ शिवराज को पूरा जोर विदिशा का चुनाव जीतने पर है, जहां पर वह लगातार जनसंपर्क में जुटे हुए हैं और लोगों से उन्हें जिताने की अपील कर रहे हैं।
विदिशा सीट भाजपा का मजबूत गढ़ रही है। मुख्यमंत्री बनने से पहले भी शिवराज पांच बार विदिशा से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज जैसे कद्दावर भाजपा नेता भी यहां से चुनकर संसद जा चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर शिवराज यहां से कमल खिलाने की तैयारी में हैं।