प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार देश में सरकार बन गई है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेकर मोदी सरकार का हिस्सा बन गए हैं. मोदी सरकार की नई मंत्रिपरिषद के गठन के साथ ही बीजेपी संगठन में बदलाव की नींव भी रख दी गई है. जेपी नड्डा के मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ ही अब बीजेपी को नए अध्यक्ष की तलाश करनी होगी. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी की कमान अब किसे मिलेगी और कौन पार्टी का चेहरा होगा?
2014 में राजनाथ सिंह बीजेपी अध्यक्ष थे और लोकसभा चुनाव में जीत के बाद वो केंद्र में मंत्री बन गए थे. इसके बाद बीजेपी संगठन में बदलाव हुआ था और अमित शाह को पार्टी की कमान सौंपी गई थी. अमित शाह के बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए 2019 में लोकसभा चुनाव हुए थे. जीत के बाद अमित शाह मोदी कैबिनेट का हिस्सा बन गए थे, जिसके चलते बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. अमित शाह के बाद बीजेपी की कमान जेपी नड्डा ने संभाली. नड्डा के बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल जनवरी 2023 में पूरा हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनावों को देखते हुए जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था.
कौन होगा बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष?
जेपी नड्डा के अध्यक्ष रहते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव हुए हैं. चुनाव नतीजे के बाद राजनाथ सिंह और अमित शाह की तरह जेपी नड्डा भी मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री बने गए हैं. अब सरकार से बड़ा बदलाव अब जल्द पार्टी संगठन पर दिखेगा. ऐसे में अब अटकलें तेज हो गई हैं कि जेपी नड्डा की जगह बीजेपी अध्यक्ष कौन होगा है. नड्डा के संभावित उत्तराधिकारी माने जाने वाले सीआर पाटिल, शिवराज सिंह चौहान और भूपेंद्र यादव को मोदी कैबिनेट में शामिल किए जाने के बाद अटकलों ने और जोर पकड़ लिया.
बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्षों की नियुक्ति में पार्टी का एक पैटर्न रहा है. राजनाथ सिंह के अध्यक्ष रहते हुए उत्तर प्रदेश के प्रभारी अमित शाह थे और चुनाव के बाद बीजेपी के अध्यक्ष बने थे. अमित शाह के अध्यक्ष रहते हुए जेपी नड्डा यूपी के प्रभारी थे और 2019 के चुनाव के बाद पार्टी की कमान संभाली है. ऐसे में पहले पार्टी अध्यक्ष पद के लिए जो नाम चर्चा में थे उन्हें अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा चुका है.
इन नामों की चल रही थी चर्चा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पार्टी के दिग्गज नेता भूपेंद्र यादव जैसे नेताओं के नाम की चर्चा चल रही थी. लेकिन इन सभी नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गई है. इस बार के चुनावी नतीजे जिस तरह से पार्टी के आए हैं और बहुमत से कम सीटें आई हैं, उसके चलते ही बीजेपी के लिए ऐसे अध्यक्ष की जरूरत है, जो पार्टी के खिसके सियासी आधार को दोबारा से वापस ला सके. 2024 के चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका दलित वोटों के खिसकने का हुआ.
विपक्षी दलों ने खासकर कांग्रेस ने 2024 के चुनाव जिस तरह पीएम मोदी के खिलाफ संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने का नैरेटिव बनाया था, उसके चलते बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है. यूपी जैसे राज्यों में जहां परिणाम उम्मीद के अनुरूप नहीं रहे और महाराष्ट्र में भी झटका लगा है. दलित ही नहीं मोदी के नाम पर आया ओबीसी वोट भी छिटका है.
सवर्ण नेताओं के हाथ में रही है बीजेपी की कमान
पिछले 15 साल से बीजेपी की कमान सवर्ण नेताओं के हाथों में रही है, राजनाथ सिंह ठाकुर समुदाय से आते हैं तो जेपी नड्डा ब्राह्मण समाज से हैं. पीएम मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बने हैं, जिसके लिहाज से किसी सवर्ण समुदाय के नेता के ही अध्यक्ष बनने की संभावना मानी जा रही है. सवर्ण समुदाय बीजेपी का कोर वोटबैंक है, जिसे इग्नोर करना भी मुश्किल लग रहा है.
बीजेपी अध्यक्ष ही नहीं बल्कि संगठन में भी बड़ा फेरबदल हो सकता है. हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और उसके बाद दिल्ली व बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष के लिए ऐसे चेहरे की तलाश है, जो मोदी-शाह के करीबी होने के साथ-साथ पार्टी संगठन को भी बखूबी समझता हो. यूपी में बीजेपी को 28 सीटों का नुकसान हुआ है तो हरियाणा में पांच, बिहार में 9 सीटें और महाराष्ट्र में 14 सीटें घट गई हैं. इन सभी राज्यों में बीजेपी के सियासी समीकरण गड़बड़ाने से घाटा हुआ है.
विपक्ष की स्थिति मजबूत हुई है तो बीजेपी के नए अध्यक्ष के लिए पार्टी के अंदर और सरकार के साथ संतुलन बनाकर चलने की चुनौती होगा विपक्षी नेता राहुल गांधी ने चुनावी नतीजों के बाद से आक्रमक है और यूपी में सपा प्रमुख एक नई चुनौती बन गई है. ऐसे में बीजेपी के अध्यक्ष बनने वाले नेता के लिए हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के चुनाव में बेहतर करके दिखाना होगा. जेपी नड्डा के कैबिनेट में हिस्सा बनने के बाद अब पार्टी ऐसे नेता को कमान सौंपना चाहती है, जो बीजेपी के सियासी मझधार से निकालकर दोबारा से फिर 2014 जैसे सियासी मुकाम दिला सके. ऐसे में देखना है कि बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होता है?