तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात पर चीन भड़क गया। है। चीन ने अमेरिका से दलाई लामा के अलगाववादी एजेंडे को समझने और उनसे किसी तरह का संपर्क न रखने को कहा है। आइये जानते हैं कि दलाई लामा से अमेरिकी सांसदों की मुलाकात चीन, अमेरिका और भारत के संबंधों के लिहाज से अहम क्यों है?
अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल भारत में क्यों है
अमेरिका के सांसदों का सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दलाई लामा से मुलाकात के लिए भारत में है। अमेरिका लंबे समय से इस बात पर जोर, देता रहा है कि तिब्बत के लोगों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक रीति रिवाजों का पालन करने का अधिकार है। वह लंबे समय से इन अधिकारों का समर्थन करता रहा है। अमेरिका चीन पर तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप भी लगाता रहा है।
अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने इस माह एक विधेयक पारित किया है। विधेयक में कहा गया है कि चीन पर तिब्बत के नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए। विधेयक में चीन को एक समझौते के लिए तैयार करने और तिब्बती लोगों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी पहचान को संरक्षण देने बात कही गई है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने भारत से संचालित निर्वासित तिब्बत सरकार के अधिकारियों से भी मुलाकात की है।
कौन हैं दलाई लामा
दलाई लामा का जन्म 1935 में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम ल्हामो धोंडुप रखा गया। दो वर्ष की उम्र में ल्हामो घोडुप पको को 13 वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया। 1940 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 14 वें दलाई लामा के रूप में उनकी ताजपोशी की गई। चीन ने 1950 में तिब्बत पर आक्रमण कर दिया और चीन के शासन के खिलाफ असफल क्रांति के बाद 1959 में दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आ गए। तभी से भारत के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे है। 1989 में दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।
अमेरिका के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा क्यों है अहम
दलाई लामा से अमेरिका के सांसदों की मुलाकात से चीन परेशान है। यह यात्रा ऐसे समय हुई है, जब चीन और अमेरिका अपने सबंध सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। 2020 में लदाख के गलवन में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के सबंधों में भी तनाव है और सीमा पर गतिरोध अब भी बना हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन तिब्बत विवाद का समाधान तलाशने के लिए जल्द ही रिजाल्व तिब्बत एक्ट पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। हालांकि, अमेरिका तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र को चीन का हिस्सा मानता है।
क्या हैं चीन की आपत्तियां
चीन दलाई लामा पर अलगाववादी गतिविधियों का आरोप लगाता है। दूसरी तरफ दलाई लामा का कहना है कि वह तिब्बत के लिए वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं। चीन ने दलाई लामा की विदेशी नेताओं के साथ मुलाकात पर हमेशा आपत्ति जताई है। हालांकि, दलाई लामा अमेरिका के राष्ट्रपतियों सहित दूसरे विदेशी नेताओं से मिलते रहे हैं। तिब्बत को लेकर सबसे विवादास्पद मुद्दा दलाई लामा का उत्तराधिकारी नियुक्त करना है। चीन का कहना है कि उसे उत्तराधिकारी तय करने का अधिकार है, लेकिन दलाई लामा का कहना है कि उनके उत्तराधिकारी का फैसला सिर्फ तिब्बत के लोग ही कर सकते है और उनका उत्तराधिकारी भारत से भी हो सकता है।