अयोध्या में प्रभु रामलला के नव मंदिर में विराजित होने के बाद पहली दीपावली बेहद भव्य और दिव्य होने जा रही है। रामनगरी में छोटी दीपावली पर 55 घाटों पर 25 लाख से अधिक दीए प्रज्ज्वलित होंगे जिसकी अगुआई डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल करेंगी। उनके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय प्रशासन ने 30 हजार स्वयंसेवकों को लगाने की तैयारी की है, जिनकी मदद से सातवीं बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अयोध्या धाम का नाम दर्ज होगा। खास बात ये है कि 25 लाख दीए जलाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 28 लाख दीए बिछाये जाएंगे।
आठवें दीपोत्सव को भव्य बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कमर कस ली है। दीपोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। दीपोत्सव में सहभागिता के लिए पंजीकरण की तिथि को आगे बढ़ाया गया है। अब 15 अक्टूबर तक सहभागिता हेतु पंजीकरण कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त स्वयंसेवकों के दीपोत्सव आईकार्ड को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। 20 अक्टूबर से स्वयंसेवकों को आईकार्ड का वितरण शुरू कर दिया जायेगा।
दीपोत्सव की तैयारियों को लेकर नोडल समन्वयक प्रो. एसएस मिश्र ने बताया कि राम की पैड़ी के 55 घाटों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए 25 लाख दीए प्रज्ज्वलित किए जाने के लक्ष्य को लेकर 28 लाख दीए बिछाये जायेंगे, जिसके लिए 30 हजार स्वयंसेवक तैनात किए जायेंगे। विवि परिसर सहित 14 महाविद्यालय, 37 इण्टर कालेज, 40 एनजीओ शामिल है। विश्वविद्यालय द्वारा मैपिंग का कार्य शुरू कर दिया गया है। 17 या 18 अक्टूबर से घाटों पर कर्मियों द्वारा मार्किंग का कार्य होगा।
90 हजार लीटर तेल का होगा इस्तेमाल
योजना के अनुसार, राम की पैड़ी के सभी घाटों पर 16 गुणे 16 ब्लॉक में 30 एमएल दीए में 30 एमएल सरसों का तेल पड़ेगा। सभी दीयों में कुल मिलाकर 90 हजार लीटर सरसों के तेल लगेगा जिसके इंतेजाम के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से पूरा किया जा रहा है।
दीपोत्सव में सहभागिता के लिए पंजीकरण का कार्य 15 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जायेगा। 20 अक्टूबर से स्वयंसेवकों का आईकार्ड का वितरण शुरू कर दिया जायेगा। 26 अक्टूबर से घाटों पर दीए की खेप पहुंचनी शुरू हो जायेगी। 27 अक्टूबर से स्वयंसेवकों द्वारा घाटों पर दीए बिछाने के साथ 30 अक्टूबर को दीए प्रज्ज्वलित करके विश्व रिकार्ड बनायेंगे।
मीडिया प्रभारी डॉ. विजयेन्दु चतुर्वेदी ने बताया कि जिला प्रशासन और विवि के सहयोग से दीपोत्सव को एतिहासिक बनाने के लिए कार्यो को अंतिम रूप दिया जा रहा है।