सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को अपराध घोषित करने वाले कानून के खिलाफ सुनवाई अहम मोड़ पर पहुंच गई है।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
- केंद्र सरकार को यह जानकारी देनी होगी कि तीन तलाक को लेकर अब तक कितने मुकदमे दर्ज हुए हैं और कितनी चार्जशीट दायर की गई हैं।
- यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या इस कानून के खिलाफ कोई मामला किसी हाईकोर्ट में लंबित है।
- अगली सुनवाई मार्च में होगी।
🔹 केंद्र सरकार का पक्ष:
- सरकार ने हलफनामे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले के बावजूद तीन तलाक की घटनाएं कम नहीं हुईं।
- पीड़ित मुस्लिम महिलाओं के पास पुलिस में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन कानून न होने की वजह से पुलिस भी कार्रवाई नहीं कर सकती थी।
- तीन साल की सजा का प्रावधान इस कुप्रथा को रोकने में सहायक साबित हुआ है।
🔹 मुस्लिम संगठनों का विरोध:
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने याचिका दाखिल कर कहा कि ‘तलाक-ए-बिद्दत’ को अपराध घोषित करना असंवैधानिक है।
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत अन्य मुस्लिम संगठनों ने भी इस कानून को चुनौती दी है।
कानूनी रूप से यह मामला बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण है। आने वाले महीनों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और मुस्लिम पर्सनल लॉ पर दूरगामी असर डाल सकता है।