भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट कई आर्थिक और वैश्विक कारकों का परिणाम है। सोमवार, 24 फरवरी 2025 को, बीएसई सेंसेक्स 417.61 अंकों की गिरावट के साथ 74,893.45 पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 186.55 अंकों की गिरावट के साथ 22,609.35 पर खुला।
इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी आर्थिक वृद्धि में मंदी की आशंका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ के प्रभाव से जुड़ी चिंताएँ हैं। इन वैश्विक कारकों ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है, जिससे भारतीय बाजारों में बिकवाली का दबाव बढ़ा है।
इसके अतिरिक्त, भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजों में धीमी वृद्धि और विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार पूंजी निकासी ने भी बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। निफ्टी 50 कंपनियों की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में मुनाफा वृद्धि केवल 5% रही, जो लगातार तीसरी तिमाही में एकल अंक की वृद्धि है। साथ ही, विदेशी निवेशकों ने सितंबर के उच्चतम स्तर से अब तक भारतीय शेयरों में से लगभग 25 बिलियन डॉलर की बिक्री की है।
गिरावट के संभावित कारण:
- वैश्विक बाजारों का दबाव: अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में कमजोरी के कारण भारतीय बाजार भी प्रभावित हुआ है।
- एफआईआई की बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली बाजार पर नकारात्मक असर डाल रही है।
- अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता: कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक मंदी की आशंकाओं ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
- ब्याज दरों में बदलाव की संभावना: अमेरिकी फेडरल रिजर्व और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ब्याज दरों पर भविष्य की नीति को लेकर निवेशक अनिश्चितता में हैं।
संभावित कारण:
- वैश्विक कारक: अमेरिका और यूरोप में मंदी की आशंका, ब्याज दरों में बदलाव, या भू-राजनीतिक तनाव (जैसे रूस-यूक्रेन या इजराइल-हामा संघर्ष) का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: यदि एफआईआई (Foreign Institutional Investors) भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, तो यह दबाव बढ़ा सकता है।
- ब्याज दरों का असर: अगर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत दिए गए हों, तो इससे बैंकिंग और अन्य सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं।
- कंपनियों के तिमाही नतीजे: यदि कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से कमजोर आए हों, तो निवेशकों में निराशा हो सकती है।