महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा राहुल गांधी पर की गई यह तीखी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद सरकार की रणनीति और विदेश नीति को लेकर विपक्षी सवाल उठ रहे हैं। बावनकुले का बयान स्पष्ट रूप से कांग्रेस के शीर्ष नेता की विदेश और रक्षा नीति को लेकर समझ पर सवाल खड़ा करता है।
बावनकुले का मुख्य आरोप:
🔸 “राहुल गांधी देश को नहीं समझ पाए, तो विदेश नीति क्या समझेंगे?”
- उन्होंने राहुल गांधी पर ज्ञान की कमी, पढ़ाई न करने और सीखने की आदत न होने जैसे गंभीर आरोप लगाए।
- बावनकुले के अनुसार, राहुल गांधी न केवल भारत की विदेश नीति को नहीं समझते बल्कि देश के मूलभूत मुद्दों को भी नहीं समझ पाए हैं।
मुख्य बिंदु जो बावनकुले ने उठाए:
बिंदु | विवरण |
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🔺 सीखने की आदत नहीं | राहुल गांधी को देश, विदेश नीति, और सेना की रणनीति समझने की जरूरत है |
🔺 विदेश यात्राओं पर कटाक्ष | अगर सरकार असफल है, तो राहुल गांधी को खुद विदेश जाकर दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ भारत की भूमिका समझानी चाहिए |
🔺 पीएम मोदी की भूमिका की सराहना | मोदी पूरी दुनिया को साथ लेकर आतंकवाद से लड़ने की नीति पर काम कर रहे हैं |
🔺 सांसदों की वैश्विक भूमिका | भारत के सांसद दुनिया भर में जाकर आतंकवाद के मुद्दे को उठा रहे हैं, राहुल गांधी को भी यही करना चाहिए |
पृष्ठभूमि: ऑपरेशन सिंदूर और राहुल गांधी
- ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान में स्थित आतंकी ढांचे को निष्क्रिय करने के लिए भारत की एक कड़ी सैन्य प्रतिक्रिया मानी जा रही है।
- इस ऑपरेशन के बाद राहुल गांधी ने इसके कुछ पहलुओं और पारदर्शिता को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठाए, जिससे बीजेपी हमलावर हो गई।
राजनीतिक संकेत और रणनीति
- बीजेपी की लाइन: सरकार की विदेश नीति, सैन्य नीति और वैश्विक छवि पर कोई सवाल उठाना = राष्ट्रविरोधी रुख
- राहुल गांधी को घेरने की रणनीति: उन्हें एक अपरिपक्व, अनुभवहीन और गैर-जिम्मेदार नेता के रूप में प्रस्तुत करना
- मोदी की छवि को मजबूत करना: एक वैश्विक नेता जो न सिर्फ घरेलू सुरक्षा बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं
चंद्रशेखर बावनकुले का यह बयान एक व्यापक राजनीतिक विमर्श का हिस्सा है, जहाँ बीजेपी 2024 के बाद के परिदृश्य में राहुल गांधी की वैश्विक छवि को भी चुनौती देने की कोशिश कर रही है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की आड़ में यह हमला सिर्फ सुरक्षा नीति तक सीमित नहीं है, बल्कि नेतृत्व की वैधता और योग्यता पर भी निशाना है।