अयोध्या धाम में एक बार फिर से अध्यात्म और आस्था का महासंगम देखने को मिल रहा है। राम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य राम मंदिर में 5 जून 2025 को ‘राम दरबार’ की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जा रहा है, और इससे पहले पूरे मंदिर परिसर में वैदिक परंपराओं के अनुसार अनुष्ठानों की श्रृंखला शुरू हो गई है।
मंदिर हुआ स्वर्णमंडित
राम मंदिर के शिखर और गुंबदों पर सोने की परत चढ़ाए जाने के बाद यह मंदिर अब दूर से ही एक अद्वितीय आध्यात्मिक तेज के साथ दमक रहा है। सोने से दमकते इस मंदिर में जब वैदिक मंत्र गूंजते हैं, तो अयोध्या नगरी खुद रामराज्य के साक्षात स्वरूप की अनुभूति कराती है।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का दिव्य स्वर्णमंडित शिखर तथा नवनिर्मित प्रथम तल
The divine, gold-adorned shikhar and the newly constructed first floor of the Shri Ram Janmabhoomi Mandir. pic.twitter.com/yIIUUcxoJx
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प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की प्रमुख बातें:
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तीन दिवसीय अनुष्ठान 3 जून से शुरू, 5 जून को होगा मुख्य आयोजन।
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देशभर से 101 वैदिक आचार्य और विद्वान शामिल।
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1975 वैदिक मंत्रों के साथ अग्निहोत्र और हवन की पूर्ण विधि।
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रामरक्षा स्तोत्र, हनुमान चालीसा, और भजन-कीर्तन का आयोजन सुबह 6:30 से शाम 6:30 तक।
5 जून का विशेष कार्यक्रम:
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समय: सुबह 11:25 बजे, अभिजीत मुहूर्त में।
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मुख्य यजमान: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (यह संयोग है कि 5 जून को उनका जन्मदिन भी है)।
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विशेष उपस्थिति: कई संत, धर्माचार्य और ट्रस्ट के पदाधिकारी।
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आरती और भोग: दोपहर 1 बजे।
श्री राम जन्मभूमि परिसर स्थित अष्ट देवालयों में कल से प्रारंभ हो रही प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व आज पूज्य संतों, आचार्यों, श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के न्यासीगण, प्रबुद्ध नागरिकों तथा अपार जनसमूह की उपस्थिति में आज पुण्य सलिला सरयू के तट से मंगल कलश यात्रा का आयोजन हुआ।
Ahead… pic.twitter.com/aZH92SXeH4
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राम दरबार और 7 अन्य मंदिरों की स्थापना:
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राम दरबार: भगवान श्रीराम के साथ माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी की स्थापना मंदिर के प्रथम तल पर।
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अन्य 7 मंदिरों की मूर्तियाँ:
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ईशान कोण – भगवान शिव
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अग्नि कोण – श्री गणेश
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दक्षिणी मध्य भुजा – महाबली हनुमान
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नैरृत्य कोण – भगवान सूर्य
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वायव्य कोण – मां भगवती
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उत्तरी भुजा – माता अन्नपूर्णा
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दक्षिण-पश्चिम कोण – शेषावतार
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श्रद्धालुओं से अपील:
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा:
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इस आयोजन के लिए कोई विशेष निमंत्रण नहीं भेजा गया है।
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भीड़ से बचने और सुरक्षा के मद्देनज़र, श्रद्धालु सिर्फ वही आएं जिन्हें वास्तव में रामलला के दर्शन की आवश्यकता है।
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वर्तमान में मौसम और निर्माण कार्य की स्थिति को देखते हुए राम दरबार और परकोटा दर्शन को कुछ समय बाद ही खोला जाएगा।
सरयू से कलश यात्रा का शुभारंभ:
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2 जून को मां सरयू के तट से भव्य कलश यात्रा निकाली गई।
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मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्र ने मां सरयू का पूजन किया।
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350+ महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर जय श्रीराम के उद्घोष के साथ यात्रा निकाली, जो श्रृंगारहाट, रामकोट होते हुए मंदिर पहुंची।
धार्मिक महत्व और राष्ट्र का संदेश:
यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, श्रद्धा और आत्मगौरव का महोत्सव है। राम मंदिर का यह अध्याय भारत को उसकी जड़ों से जोड़ने और भावनात्मक एकता को दृढ़ करने का कार्य कर रहा है।