केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने मिजोरम के आइजोल से लालरामपाना नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उस पर एक नाबालिग के साथ बलात्कार करने और उसका वीडियो ऑनलाइन डालने का आरोप है। सीबीआई ने साइबर तकनीक, फॉरेंसिक जाँच और अंतरराष्ट्रीय मदद से लालरामपाना की हरकतों पर नज़र रखी थी।
30 मई 2025 को मामला दर्ज होने के बाद, सीबीआई ने 4 जून 2025 को उसका पता लगाया और उसके घर पर छापा मारा, जहाँ से कई डिजिटल चीज़ें मिलीं। सीबीआई का कहना है कि आरोपित बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री (CSAM) बनाता, जमा करता और ऑनलाइन अपलोड करता था, जो गैरकानूनी है।
जाँच से पता चला है कि आरोपित ने आइजोल में एक बच्चे का यौन शोषण किया था। उसने बच्चे को धमकाकर और उसका फायदा उठाकर ये सामग्री बनाई थी। यह मामला सीबीआई ने खुद पकड़ा, क्योंकि पीड़ित या उसके परिवार ने सीबीआई के आने से पहले किसी भी पुलिस एजेंसी को इसकी जानकारी नहीं दी थी।
CBI Arrests Man in Child Sexual Assault Case from Aizawl pic.twitter.com/AKZwNV8kO6
— Central Bureau of Investigation (India) (@CBIHeadquarters) June 9, 2025
सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरोपी कानूनों का उल्लंघन करते हुए बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) बना रहा था, उसे इकट्ठा कर रहा था, संग्रहीत कर रहा था और अपलोड कर रहा था। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, इसके बाद फोरेंसिक विश्लेषण में छवियों और वीडियो के रूप में बड़ी मात्रा में सीएसएएम का पता चला। इन सामग्रियों की पुष्टि इंटरपोल के अंतरराष्ट्रीय बाल यौन शोषण (आईसीएसई) डाटाबेस के साथ-साथ गूगल की ओर से तैयार साइबर टिपलाइन रिपोर्ट (सीटीआर) के आंकड़ों से की गई और इसे गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के साथ साझा किया गया।
अधिकारी ने बताया कि सीबीआई ने उसके परिसर से जब्त डिजिटल उपकरणों से प्राप्त डिजिटल सामग्री का फोरेंसिक विश्लेषण किया, जिससे पता चला कि आइजोल में आरोपी ने एक बच्चे का यौन उत्पीड़न किया था। अब तक की जांच से पता चला है कि आरोपी ने सीएसएएम के निर्माण के लिए बच्चे को धमकाया और उसका शोषण किया था। इस मामले का सीबीआई ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पता लगाया था, क्योंकि न तो पीड़ित और न ही परिवार ने सीबीआई के हस्तक्षेप से पहले किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी को घटना की सूचना दी थी।