प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की क्रोएशिया यात्रा कई दृष्टिकोणों से ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह यात्रा उनके तीन देशों के दौरे का अंतिम चरण है, जिसमें पहले उन्होंने साइप्रस और फिर कनाडा की यात्रा की थी। क्रोएशिया पहुंचने वाले वह भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिससे यह यात्रा विशेष बन जाती है। इस बाल्कन देश का दौरा भारत की बदलती विदेश नीति का संकेत देता है, जो अब बड़े यूरोपीय देशों के साथ-साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण छोटे देशों से भी संबंधों को सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर है। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-क्रोएशिया द्विपक्षीय संबंधों को एक नए आयाम पर ले जाना है, जिसमें व्यापार, रक्षा, तकनीकी सहयोग, ऊर्जा, विज्ञान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल हैं।
क्रोएशिया की भौगोलिक स्थिति और उसकी वैश्विक सदस्यताएँ भारत के लिए इसे एक मूल्यवान साझेदार बनाती हैं। यह देश यूरोपीय संघ (EU) और नाटो (NATO) का सदस्य है, और एड्रियाटिक सागर के किनारे स्थित है, जिससे यह यूरोप और पश्चिम एशिया के बीच एक रणनीतिक सेतु का कार्य करता है। इस क्षेत्र में भारत की मजबूत उपस्थिति पूरे मध्य और पूर्वी यूरोप तक कूटनीतिक पहुंच प्रदान कर सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इस क्षेत्र में भारत की भूमिका को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
भारत और क्रोएशिया के बीच रक्षा सहयोग के नए आयाम खुल सकते हैं, विशेष रूप से नौसैनिक विशेषज्ञता और शिपबिल्डिंग तकनीक के क्षेत्र में, क्योंकि क्रोएशिया की समुद्री विरासत और तकनीकी क्षमता काफी सशक्त मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, भारत आईटी, मेडिकल टेक्नोलॉजी और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में क्रोएशिया के साथ तकनीकी साझेदारी को आगे बढ़ा सकता है। यह सहयोग ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और वैश्विक टेक्नोलॉजी चेन में भारत की भूमिका को मजबूत करेगा।
क्रोएशिया एक उभरता हुआ यूरोपीय पर्यटन स्थल है, जहां भारतीय सिनेमा, योग, भारतीय भोजन और संस्कृति के प्रति आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क और समझ भी बेहतर होगी। भारत इसे एक नए पर्यटन बाजार के रूप में भी देख सकता है, जिससे आर्थिक लाभ के साथ-साथ भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ को भी बल मिलेगा।
अंततः, यह यात्रा न केवल भारत-क्रोएशिया संबंधों को मजबूती देगी, बल्कि यह व्यापक रूप से भारत और यूरोपीय संघ के संबंधों को भी सुदृढ़ करने में सहायक होगी। प्रधानमंत्री मोदी की क्रोएशिया यात्रा भारत की एक ऐसी विदेश नीति का प्रतीक बनकर उभरी है, जो रणनीतिक, बहुपक्षीय और बहुआयामी सहयोग को केंद्र में रखती है और वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाने की दिशा में अग्रसर है।
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