यूपीआई (UPI) ने डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में एक और बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। 2 अगस्त 2025 को पहली बार एक दिन में 70.7 करोड़ से अधिक लेनदेन हुए, जिसकी जानकारी नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने दी। पिछले दो वर्षों में यूपीआई लेनदेन की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। अगस्त 2023 में जहां प्रतिदिन करीब 35 करोड़ ट्रांजैक्शन होते थे, वहीं अगस्त 2024 में यह बढ़कर 50 करोड़ तक पहुंच गया था और अब अगस्त 2025 में यह 70 करोड़ पार कर गया। सरकार का अगला लक्ष्य हर दिन 100 करोड़ लेनदेन तक पहुंचना है और मौजूदा ग्रोथ रेट को देखते हुए उम्मीद है कि यह लक्ष्य अगले साल तक हासिल हो सकता है।
🚨 UPI has crossed 700 million transactions in a single day for the first time on August 2. pic.twitter.com/I06QDjLuMq
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) August 5, 2025
हालांकि, इस तेज़ी से बढ़ती ग्रोथ के साथ यूपीआई की वित्तीय स्थिरता को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। फिलहाल, यूपीआई ट्रांजैक्शन आम उपयोगकर्ताओं के लिए पूरी तरह मुफ्त हैं, लेकिन इतनी बड़ी ट्रांजैक्शन वॉल्यूम को लंबे समय तक सस्टेन करने के लिए फिनटेक कंपनियां और पेमेंट यूनियन MDR (Merchant Discount Rate) यानी व्यापारी शुल्क को फिर से लागू करने की बात कर रहे हैं। MDR वह फीस है जो बैंक व्यापारियों से डिजिटल पेमेंट प्रोसेस करने के लिए लेते हैं। वर्तमान में यह फीस यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड पर माफ है, लेकिन भविष्य में इसे लागू करने पर विचार किया जा सकता है।
आरबीआई (RBI) भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि यूपीआई सिस्टम को वित्तीय रूप से टिकाऊ बनाना जरूरी है, क्योंकि इस इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत किसी न किसी को उठानी ही पड़ेगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2024 में यूपीआई के लिए लगभग 4,500 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी थी, जो वित्त वर्ष 2025 में घटाकर सिर्फ 1,500 करोड़ रह गई है।
आज यूपीआई न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट प्रोसेस करने वाला प्लेटफॉर्म बन चुका है। पिछले महीने, यूपीआई ने लगभग 25 लाख करोड़ रुपए के 19.5 बिलियन ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए, यानी प्रतिदिन औसतन 65 करोड़ ट्रांजैक्शन और करीब 83,000 करोड़ रुपए का वॉल्यूम। भारत में होने वाले सभी डिजिटल ट्रांजैक्शन का करीब 85% हिस्सा यूपीआई का है, और यह पूरी दुनिया के रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट्स में लगभग 50% योगदान देता है। इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, छोटे व्यापारियों और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अपनाने के चलते यूपीआई ट्रांजैक्शन में हर महीने 5-7% और हर साल करीब 40% की वृद्धि हो रही है।
फिलहाल आम जनता के लिए यूपीआई से लेनदेन पूरी तरह फ्री है, लेकिन आने वाले समय में व्यापारियों के लिए चार्ज वापस आ सकता है। यह सर्विस भविष्य में फ्री रहेगी या नहीं, इसका फैसला सरकार के अगले कदम पर निर्भर करेगा।