Air Force Near-Space Power: भारतीय वायुसेना ने ‘नियर स्पेस’ को बनाया अगला रणक्षेत्र
भारतीय वायुसेना (IAF) अब एक ऐसे युद्धक्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रही है, जिसे अब तक ‘अनदेखा’ माना गया — नियर स्पेस, यानी धरती से लगभग 20 से 100 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच का क्षेत्र। यह न तो पारंपरिक वायुमंडल है, न ही सैटेलाइट की कक्षा, बल्कि इन दोनों के बीच का रणनीतिक इलाका है। इसे ‘An Unseen Middle Zone’ कहा जाता है, और आधुनिक युद्ध में यह क्षेत्र अब निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
नियर स्पेस क्यों है अहम?
- निगरानी व संचार का नया ठिकाना:
- इस क्षेत्र में HAPS (High-Altitude Pseudo Satellites) और स्ट्रेटोस्फेरिक बैलून्स जैसे प्लेटफॉर्म्स बिना रीफ्यूलिंग के हफ्तों तक एक जगह टिक सकते हैं।
- सोलर पावर पर आधारित ये सिस्टम लद्दाख, सियाचिन, अरुणाचल जैसे क्षेत्रों में चीन-पाक की गतिविधियों पर 24×7 निगरानी रख सकते हैं।
- संचार की बैकअप लाइन:
- युद्ध के दौरान अगर सैटेलाइट या साइबर हमलों से संचार बाधित हो जाए, तो यही HAPS त्रि-सेना को जोड़ने वाला ब्रिज बन सकते हैं।
- मिसाइल ट्रैकिंग और चेतावनी:
- बैलिस्टिक मिसाइलें जब मिड-कोर्स में होती हैं, तो नियर स्पेस से उन्हें ट्रैक करना सबसे उपयुक्त और कारगर तरीका होता है।
- हाइपरसोनिक हथियारों की दुनिया:
- हाइपरसोनिक मिसाइलें (जैसे DRDO की HSTDV) मैक-5 से अधिक गति से इसी नियर स्पेस में चलती हैं।
- ये पारंपरिक डिफेंस को चकमा दे सकती हैं, और वायुसेना इनके ट्रैकिंग व रिकवरी मिशन में अहम भूमिका निभा रही है।
तकनीकी विकास और भागीदारी
- संस्थाएं शामिल:
- IAF, DRDO, ISRO, IITs, निजी रक्षा कंपनियां व स्टार्टअप्स (iDEX के तहत)
- तकनीकें:
- सोलर ड्रोन, AI-बेस्ड नेविगेशन सिस्टम, एडवांस्ड इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर
- उदाहरण:
- ISRO का RLV-TD, DRDO का HSTDV, और अब HAPS प्रोटोटाइप्स
चुनौतियां भी कम नहीं
- अत्यधिक कम तापमान, कम हवा का दबाव, और तेज रेडिएशन इस क्षेत्र में उपकरणों की विश्वसनीयता को चुनौती देते हैं।
- वैश्विक व राष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट नियमों की कमी — इस क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर भविष्य में विवाद की आशंका।
- त्रि-सेना और अंतरिक्ष एजेंसियों में तालमेल व SOP की जरूरत।
रणनीतिक संकेत: भारत का साफ संदेश
“अब सुरक्षा केवल जमीन, समुद्र और आकाश तक सीमित नहीं। नियर स्पेस में भी भारत की ‘बाज़ निगाह’ हर हरकत पर नजर रखेगी।”
IAF का यह कदम भविष्य के युद्धों में निर्णायक साबित हो सकता है — एक ऐसा रणक्षेत्र जहां तकनीक, रणनीति और वैज्ञानिक सोच मिलकर भारत को बढ़त दिला रही है।