सुप्रीम कोर्ट आज समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता पर अपना फैसला सुना रहा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि समलैंगिकता कोई शहरी अवधारणा नहीं है और यह समाज के उच्च वर्गों तक ही सीमित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल इसकी व्याख्या कर सकती है और इसे प्रभावी बना सकती है।
सीजेआई चंद्रचूड़ का कहना है कि यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है। उन्होंने कहा कि अगर विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो यह देश को आजादी से पहले के युग में ले जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह संसद को तय करना है। सीजेआई ने कहा, इस अदालत को विधायी क्षेत्र में प्रवेश न करने के प्रति सावधान रहना चाहिए।
Same-sex marriage | CJI DY Chandrachud says he has dealt with the issue of judicial review and separation of powers.
"The doctrine of separation of powers means that each of the three organs of the State perform distinct functions. No branch can function any others' function.… pic.twitter.com/HiaulENmhN
— ANI (@ANI) October 17, 2023
इस तरह के संबंध को मान्यता नहीं देना भेदभाव
चीफ जस्टिस ने कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका फैसला संसद को करना है। जीवन साथी चुनने की क्षमता अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि संबंधों के अधिकार में जीवन साथी चुनने का अधिकार, उसकी मान्यता शामिल है; इस प्रकार के संबंध को मान्यता नहीं देना भेदभाव है। समलैंगिक लोगों सहित सभी को अपने जीवन की नैतिक गुणवत्ता का आकलन करने का अधिकार है।
Same-sex marriage | Justice Ravindra Bhat reading his judgement says, "There cannot be an unqualified right to marry which is to be treated as a fundamental right. While we agree that there is a right to a relationship, we squarely recognise that it falls within Article 21. It… pic.twitter.com/nzNOpi6aV8
— ANI (@ANI) October 17, 2023
समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव न हो
चीफ जस्टिस ने कहा कि इस अदालत ने माना है कि समलैंगिक व्यक्तियों के साथ भेदभाव न किया जाना समानता की मांग है। कानून यह नहीं मान सकता कि केवल विपरीत लिंग के जोड़े ही अच्छे माता-पिता साबित हो सकते हैं क्योंकि यह समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ भेदभाव होगा।केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव न हो।
Marriage equality case | Justice Ravindra Bhat says he does not agree with the directions issued by the CJI on the Special Marriage Act. pic.twitter.com/AWHmFeTwVI
— ANI (@ANI) October 17, 2023
इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर उसके द्वारा की गई कोई भी संवैधानिक घोषणा कार्रवाई का सही तरीका नहीं हो सकती, क्योंकि अदालत इसके परिणामों का अनुमान लगाने, परिकल्पना करने, समझने और उनसे निपटने में सक्षम नहीं होगी। इससे पहले मई महीने में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्क्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने करीब 10 दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन याचिकाओं पर सुनवाई करनेवाले जजों की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसआर भट्ट, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे।
सात राज्यों से मिली प्रतिक्रियाएं
केंद्र ने अदालत को यह भी बताया था कि उसे समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सात राज्यों से प्रतिक्रियाएं मिली हैं और राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा असम की सरकारों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के याचिकाकर्ताओं के आग्रह का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई 18 अप्रैल को शुरू की थी।
Same-sex marriage case | CJI directs Centre and State governments to ensure that there is no discrimination in access to goods and services to the queer community and government to sensitise public about queer rights. Government to create hotline for queer community, create safe… pic.twitter.com/DDeFhZSxrD
— ANI (@ANI) October 17, 2023
संसद पर छोड़ देना चाहिए-केंद्र
इस मामले को लेकर जहां केंद्र सरकार कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को इसे संसद के ऊपर छोड़ देना चाहिए। सुनवाई के दौरान अदालत के सामने सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक बॉयोलोजिक पिता और मां बच्चे पैदा कर सकती है, यही प्राकृतिक नियम है, इससे छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। अगर समलैंगिक विवाह को मंजूरी दे भी दी गई तो आदमी-आदमी की शादी में पत्नी कौन होगी?