सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग (SEC) को कड़ी फटकार लगाते हुए राज्य में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी, 2026 तक हर हाल में संपन्न कराने का सख्त आदेश दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि अब समय सीमा को और आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य में 10 अक्टूबर, 2025 तक परिसीमन (Delimitation) प्रक्रिया पूरी कर ली जाए, ताकि चुनावी कार्यक्रम समय पर घोषित किया जा सके।
दरअसल, मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित कर राज्य सरकार और SEC को चार सप्ताह में अधिसूचना जारी करने और चार महीने के भीतर चुनाव कराने का निर्देश दिया था। लेकिन इसके बावजूद आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू करने में विफल रहा। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार और आयोग की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपकी देरी आपकी प्रशासनिक अक्षमता को उजागर करती है। अदालत ने यह भी पूछा कि इतने समय बाद भी चुनाव क्यों नहीं कराए गए।
सरकार की ओर से पेश वकील ने जवाब देते हुए कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन आयोग को अभी 65 हजार ईवीएम मशीनों के अलावा 50 हजार और मशीनों की आवश्यकता है, जिसके लिए ऑर्डर दे दिए गए हैं। वहीं, आयोग ने एक अंतरिम अर्जी दायर कर अतिरिक्त समय मांगा था। इस पर न्यायालय ने नाराज़गी जताई और कहा कि यह बहाना स्वीकार्य नहीं है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 2022 से लंबित हैं। चुनाव प्रक्रिया पर रोक तब लगी थी जब ओबीसी आरक्षण से जुड़ा विवाद अदालत में चला गया। इस वजह से लगभग तीन वर्षों से राज्य के 29 नगर निगमों और हजारों नगर परिषदों में चुनाव नहीं हो पाए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि 2026 के जनवरी अंत तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी ही होगी।
यह आदेश राज्य सरकार और SEC के लिए अंतिम चेतावनी मानी जा रही है, क्योंकि अदालत ने साफ कहा है कि आगे किसी भी प्रकार का विस्तार या ढील नहीं दी जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि महाराष्ट्र में अब स्थानीय लोकतंत्र को बहाल करने के लिए सभी संबंधित संस्थाओं को तत्काल और ठोस कदम उठाने होंगे।
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