पहलगाम आतंकी हमले का असर जम्मू-कश्मीर के पर्यटन उद्योग पर विनाशकारी साबित हो रहा है। गर्मी की छुट्टियों के लिए तैयार की गई यात्रा योजनाओं में अचानक आई इस गिरावट से न केवल ट्रैवल एजेंसियां, बल्कि होटल, टैक्सी ऑपरेटर, टूर गाइड और स्थानीय हस्तशिल्प व्यवसायी भी गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
मुख्य असर जो सामने आ रहे हैं:
बुकिंग में 90% तक की गिरावट:
- दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों की ट्रैवल एजेंसियों ने बताया कि मई-जून की 90% बुकिंग रद्द हो गई हैं।
- सबसे ज्यादा रद्दीकरण कश्मीर और वैष्णो देवी यात्रा को लेकर हुए हैं।
रिफंड का दबाव और ट्रैवल एजेंसियों की मुश्किलें:
- होटल और फ्लाइट की नॉन-रिफंडेबल बुकिंग होने के कारण एजेंसियों को भारी घाटा हो रहा है।
- यात्रियों का दबाव है कि उन्हें पूरा रिफंड दिया जाए, चाहे वह संभव हो या नहीं।
धार्मिक यात्राओं पर भी असर:
- वैष्णो देवी यात्रा की बुकिंग में भी गिरावट आई है। यात्रियों ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।
पर्यटन मंत्रालय का हस्तक्षेप:
- मंत्रालय ने एजेंसियों से अपील की है कि वे यात्रियों से कैंसलेशन चार्ज न लें और सहयोग करें।
लंबी अवधि में प्रभाव क्या हो सकते हैं?
- स्थानीय रोजगार प्रभावित होगा – विशेषकर घाटी में जहाँ पर्यटन ही मुख्य जीविका है।
- अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान – विदेशी पर्यटक इस घटना से प्रभावित होकर भारत के पर्वतीय पर्यटन स्थलों से दूरी बना सकते हैं।
- उद्योग का पुनर्निर्माण कठिन होगा – एक बार भरोसा टूटा, तो दोबारा लाना कठिन होता है।
क्या होना चाहिए आगे?
✅ सुरक्षा का भरोसा जगाना ज़रूरी है:
सरकार को घाटी में दृढ़ सुरक्षा उपाय, CCTV निगरानी और विशेष पर्यटक ज़ोन बनाकर यह दिखाना होगा कि हालात काबू में हैं।
✅ प्रचार अभियान की ज़रूरत है:
“Safe Kashmir, Welcome Tourists” जैसे अभियानों से डर दूर किया जा सकता है।
✅ यात्रा बीमा और लचीलापन:
आने वाले समय में यात्रा कंपनियों को बुकिंग के समय फ्लेक्सिबल कैंसलेशन पॉलिसी और बीमा जैसे विकल्प देना ज़रूरी होगा।