प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के जंबूरी मैदान में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर आयोजित महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में दिए गए अपने संबोधन में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से कई अहम संदेश दिए।
पीएम मोदी का संदेश: “दृढ़ प्रतिज्ञा हो तो परिणाम निश्चित होते हैं”लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का गुणगानधार्मिक और सांस्कृतिक योगदानकठिन समय में नेतृत्व का आदर्शगवर्नेंस और विकास के उनके मॉडल की सराहनाआदिवासी कल्याण की दृष्टिमाहेश्वरी साड़ी: विरासत और उद्यमपीएम मोदी का व्यक्तिगत जुड़ावनिष्कर्ष: एक ऐतिहासिक प्रेरणा का समकालीन संदेश
पीएम मोदी का संदेश: “दृढ़ प्रतिज्ञा हो तो परिणाम निश्चित होते हैं”
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का गुणगान
- पीएम मोदी ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर भारत की सांस्कृतिक विरासत की महान संरक्षक थीं।
- उन्होंने प्रभु सेवा और जनसेवा को एक माना, और अपने शासन में गरीबों को समर्थ बनाने पर बल दिया।
धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान
- गुलामी के कालखंड में अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ समेत कई मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया।
- देशभर के तीर्थस्थलों की मरम्मत और संरक्षण का बीड़ा उठाया।
कठिन समय में नेतृत्व का आदर्श
- कांटों से भरा ताज पहनकर भी उन्होंने अपने राज्य को समृद्धि की ओर ले जाया।
- पीएम ने कहा कि उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से विपरीत हालात में भी सफलता संभव है।
#WATCH भोपाल, मध्य प्रदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "पहलगाम में आतंकियों ने केवल भारतीयों का खून ही नहीं बहाया उन्होंने हमारे संस्कृति पर प्रहार करने की कोशिश की है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। आतंकवादियों ने भारत की नारी शक्ति को चुनौती दी है। ये… pic.twitter.com/BkV7ZFbJcT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 31, 2025
गवर्नेंस और विकास के उनके मॉडल की सराहना
- गरीबों और वंचितों को प्राथमिकता देते हुए योजनाएं बनाई गईं।
- कृषि, कुटीर उद्योग, हस्तकला और जल-संरचना जैसे क्षेत्रों में नवाचार किया।
- नहरें बनवाकर खेती को प्रोत्साहित किया।
आदिवासी कल्याण की दृष्टि
- घुमंतू जनजातियों और आदिवासी समुदायों के लिए खेती योग्य ज़मीन उपलब्ध करवाई।
- पीएम मोदी ने इस संदर्भ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी उल्लेख किया, जो आज भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं।
माहेश्वरी साड़ी: विरासत और उद्यम
- देवी अहिल्या ने गुजरात से बुनकर परिवारों को बुलाकर माहेश्वरी साड़ी उद्योग की नींव रखी।
- आज भी यह साड़ी स्थानीय पहचान और आजीविका का स्रोत बनी हुई है।
पीएम मोदी का व्यक्तिगत जुड़ाव
- पीएम ने गर्व से कहा कि जिस काशी में अहिल्याबाई ने काम किए, वहां उन्हें भी जनता की सेवा का सौभाग्य मिला है।
निष्कर्ष: एक ऐतिहासिक प्रेरणा का समकालीन संदेश
अहिल्याबाई होल्कर को याद करके प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट किया कि:
- नारी सशक्तिकरण केवल आधुनिक एजेंडा नहीं है, बल्कि हमारी परंपरा का हिस्सा है।
- सशक्त नेतृत्व, दूरदर्शिता और धार्मिक-सांस्कृतिक चेतना का संतुलन आज भी शासन के लिए प्रेरणास्रोत हो सकता है।