प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्रा के दौरान त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने संसद की स्पीकर कुर्सी पर लिखे शब्द पढ़े—“भारत के लोगों की ओर से त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के लिए”—तो उन्हें गहरी भावनात्मक अनुभूति हुई। उन्होंने कहा कि यह कुर्सी केवल एक फर्नीचर का टुकड़ा नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच गहरे लोकतांत्रिक विश्वास और मित्रता का प्रतीक है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर गर्व जताया कि त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे महान राष्ट्र की दो शीर्ष महिला नेता—राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री—स्वयं को प्रवासी भारतीयों की बेटियां कहती हैं और अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों के लिए लोकतंत्र केवल एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस संसद में कुछ सदस्य ऐसे भी हैं जिनके पूर्वज भारत के बिहार राज्य से आए थे—जो महाजनपदों की, यानी प्राचीन गणराज्यों की भूमि है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी याद किया कि 180 साल पहले भारतीय यहां समुद्र पार कर कठिन यात्रा करते हुए पहुंचे थे, और उन्होंने त्रिनिदाद की संस्कृति में अपनी गहरी छाप छोड़ी है—राजनीति से लेकर कविता, क्रिकेट से लेकर वाणिज्य तक हर क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने हँसी के साथ यह भी जोड़ा कि भारतीय वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के सबसे बड़े प्रशंसकों में से हैं—सिवाय उस समय के जब वह भारत के खिलाफ खेलते हैं।
हमारी यूट्यूब चैनल को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करे
Like, Share and Subscribe our YouTube channel