पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेधड़क मुस्लिम तुष्ष्टीकरण में लगी हैं। कभी बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के विरोध में आवाज उठाने वालीं ममता अब उन घुसैपठियों के लिए हर वह काम कर रही हैं, जिन्हें देश और संविधान विरोधी कह सकते हैं। पश्चिम बंगाल में आम चर्चा है कि घुसपैठियों के राशन कार्ड, आधार कार्ड सरकार के सहयोग से बन रहे हैं। यही नहीं, मतदाता सूची में उनके नाम भी शामिल हो रहे हैं। मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता ने अभी हाल ही में मस्जिदों के इमाम और मुअज्जिनों के वेतन में भी बढ़ोतरी की है। अब इमामों को 3,000 रु. और मुअज्जिनों को 1,500 रु. प्रति माह मिलेंगे। इससे पहले इमामों को 2,500 रु. और मुअज्जिनों को 1,000 रु. प्रति माह मिलते थे।
पश्चिम बंगाल में इमामों और मुअज्जिनों को लंबे समय से वेतन दिया जा रहा है। इसके विरोध में कई वर्ष तक हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों ने आवाज उठाई। इसके बाद ममता ने दुनिया को दिखाने के लिए मंदिरों के पुजारियों को भी वेतन देना शुरू किया, लेकिन इसमें भी उन्होंने ‘खेला’ किया। ममता ने पुजारियों को इमामों की अपेक्षा कमतर माना और यही कारण है कि पुरोहितों को इमामों से आधा वेतन मिलता है। यानी केवल 1,500 रु.। साफ है कि ममता पुजारियों का अपमान कर रही हैं। इसलिए कई पुजारियों ने वेतन लेना स्वीकार नहीं किया है।
मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता बनर्जी एक और घटिया राजनीति कर रही हैं। ममता ने उन मुसलमानों को 5,00,000 रु. का कर्ज देने की घोषणा की है, जो नूंह में हिंदुओं पर हुए हमले के बाद पश्चिम बंगाल आए हैं। 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में हिंदुओं पर जिहादियों ने हमला किया था। नूंह के आसपास बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या मुसलमान भी अवैध रूप से रहते हैं। ये लोग अपने को पश्चिम बंगाल का निवासी बताते हैं। कहा जा रहा है कि हिंदुओं पर हमला करने वालों में स्थानीय मुसलमानों के साथ ही ये रोहिंग्या और घुसपैठिए भी शामिल थे।
जब पुलिस ने हमलावरों को पकड़ने का अभियान चलाया, तो ये घुसपैठिए भाग कर पश्चिम बंगाल पहुंच गए हैं। एक रपट के अनुसार नूंह से 150 परिवार मालदा, मुर्शिदाबाद एवं उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर लौटे हैं। इसके बाद ममता ने अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद और पश्चिम बंगाल प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम को नूंह भेजा। वहां से लौटने के बाद समीरुल इस्लाम ने कहा, ‘‘जो लोग हरियाणा से पश्चिम बंगाल लौटे हैं और यहां अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं, तो हम उनके लिए 5,00,000 रु. के कर्ज की व्यवस्था करेंगे।’’
इन्हीं समीरुल इस्लाम और उनकी नेता ममता बनर्जी को वे हिंदू कभी नहीं दिखते हैं, जिन पर पश्चिम बंगाल में ही हमले होते हैं, जिन्हें घर-बार छोड़कर भागना पड़ता है। उन हिंदुओं के लिए कभी इन लोगों ने किसी तरह की राहत की घोषणा नहीं की, लेकिन अब पूरी सरकार घुसपैठियोें के लिए ‘ममता’ लुटा रही है।