थाईलैंड में प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनवात्रा को एक फोन कॉल लीक मामले के चलते संवैधानिक अदालत ने पद से निलंबित कर दिया है। यह कॉल उन्होंने कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन को किया था, जिसका उद्देश्य सीमा विवाद को सुलझाना था। लेकिन इस बातचीत के लीक होने के बाद देश में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
क्या था पूरा मामला?
- 28 मई को थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर सशस्त्र संघर्ष हुआ था, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी।
- इसके बाद, 15 जून को प्रधानमंत्री शिनवात्रा ने तनाव कम करने के लिए कंबोडिया के वरिष्ठ नेता हुन सेन को फोन किया।
- यह गोपनीय कॉल लीक हो गई, जिससे यह आरोप लगे कि उन्होंने राष्ट्रीय हितों और कूटनीतिक प्रक्रिया की अनदेखी की।
- विरोध के चलते यह मामला संवैधानिक अदालत में पहुंचा।
कोर्ट का फैसला
- अदालत ने 7-2 के बहुमत से फैसला देते हुए कहा कि फोन कॉल नैतिकता का उल्लंघन है।
- उन्होंने शिनवात्रा को 15 दिन के भीतर साक्ष्य पेश करने का समय दिया है।
- जांच पूरी होने तक उन्हें प्रधानमंत्री पद से निलंबित कर दिया गया है।
- अब उप प्रधानमंत्री सुरिया जुंगरुंगरुआंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए जाने की संभावना है।
शिनवात्रा की प्रतिक्रिया
- उन्होंने कहा, “मैंने केवल संघर्ष और हिंसा को रोकने के लिए यह कदम उठाया था।”
- शिनवात्रा ने कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करने और अपना पक्ष रखने की बात कही।
- उन्होंने लोगों से माफी भी मांगी और कहा कि उनका इरादा केवल शांति बनाए रखना था।
यह मामला न केवल थाईलैंड की आंतरिक राजनीति में हलचल मचा रहा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कूटनीतिक संवाद और गोपनीयता किस तरह राष्ट्रीय नेतृत्व की स्थिरता पर असर डाल सकती है।
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