अमेरिका और चीन के बीच यह व्यापारिक तनातनी (Trade War) अब सीधे सैन्य तनाव में बदलने की ओर बढ़ रही है। दोनों महाशक्तियों की इस तीखी बयानबाजी से वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और आर्थिक संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है।
क्या है विवाद की जड़?
- अमेरिका ने चीन समेत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाया, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा।
- जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होने लगा।
- इस व्यापार युद्ध ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक तनाव को बढ़ा दिया।
चीन की आक्रामक प्रतिक्रिया क्यों?
- अमेरिका के बढ़ते टैरिफ से चीन की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है, जिससे वह आक्रामक रुख अपना रहा है।
- बीजिंग खुद को एक ‘शांतिपूर्ण वैश्विक शक्ति’ के रूप में पेश करना चाहता था, लेकिन अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने उसे खुलकर जवाब देने पर मजबूर कर दिया।
- चीन की सेना के बढ़ते बजट और वैश्विक सैन्य ताकत बनने की महत्वाकांक्षा भी इस बयानबाजी की एक वजह है।
अमेरिका का रुख
- अमेरिका पहले ही चीन को सबसे बड़ा रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है।
- रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के बयान से साफ है कि अमेरिका चीन के किसी भी कदम का जवाब देने के लिए तैयार है।
- अमेरिकी सेना के पास अधिक संसाधन और वैश्विक उपस्थिति है, जिससे वह इस संघर्ष में अपनी बढ़त बनाए रखना चाहता है।
भविष्य में क्या हो सकता है?
- आर्थिक संकट गहरा सकता है – अमेरिका-चीन के बीच इस तनाव का असर वैश्विक बाजारों पर पड़ सकता है, जिससे मंदी जैसी स्थिति आ सकती है।
- एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य तनाव बढ़ सकता है – दक्षिण चीन सागर और ताइवान मुद्दे को लेकर अमेरिका और चीन के बीच सैन्य टकराव की संभावना बढ़ सकती है।
- भारत पर असर – भारत को इस विवाद से व्यापारिक लाभ मिल सकता है, लेकिन अगर तनाव युद्ध में बदलता है, तो क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।