पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ प्रधानमंत्री की जलवायु परिवर्तन को लेकर साझा सहयोग का वादा अब आगे बढ़ने लगा है। भारत और अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन को बेहद गंभीरता से लिया है। ताकि इसके दुष्परिणामों से सिर्फ खुद को नहीं बल्कि दुनिया को भी बचाया जा सके। इस कड़ी में जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी मामलों के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी 25 जुलाई से 29 जुलाई तक नई दिल्ली और चेन्नई की यात्रा करेंगे। एक आधिकारिक बयान में सोमवार को यह जानकारी दी गई।
भारत और अमेरिका जलवायु परिवर्तन पर आपसी सहयोग से काम करने को पहले ही प्रतिबद्धता जाहिर कर चुके हैं। पीएम मोदी ने यूएएस यात्रा के दौरान ग्रीन एनर्जी पर भारत की प्रगति और भविष्य के प्लान के बारे में बताया था। पीएम मोदी ने कहा था कि भारत ग्रीन हाइड्रोन, सौर ऊर्जा पर कई वर्षों में बड़ी सफलता हासिल कर चुका है। पीएम ने वर्ष 2030 तक भारतीय रेलवे को पूरी तरह कार्बन उत्सर्जन से मुक्त होने के संकल्प को भी अमेरिका में बताया था। इस दिशा में भारत तेजी से काम कर रहा है। पीएम मोदी की जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए दुनिया को बताई तरकीब लगभग सभी को रास आ रही है।
अमेरिका भारत में जीरो कार्बन उत्सर्जन बसें चलाने में देगा सहयोग
भारत में अमेरिका के सहयोग से परिवहन क्षेत्र में कार्बन के उत्सर्जन को कम करने कि लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन बसें चलाई जा सकती हैं। अमेरिका इसमें सहयोग करेगा। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस यात्रा का मकसद नवीकरणीय ऊर्जा एवं भंडारण समाधान में निवेश के लिए मंच बनाने के साझा प्रयासों समेत स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु संबंधी साझा उद्देश्यों को हासिल करने की दिशा में कदम उठाना, शून्य उत्सर्जन बसों के उपयोग को समर्थन देना और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को विविध बनाना है। केरी नयी दिल्ली में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। बयान में बताया गया कि वह चेन्नई में जी20 पर्यावरण एवं जलवायु स्थिरता संबंधी मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे।