जिहादियों ने 31 जुलाई को ब्रजमंडल जल अभिषेक यात्रा पर प्राणघातक हमला किया। प्राचीन नल्हड़ महादेव मंदिर को चारों तरफ से घेर लिया और पहाड़ी पर चढ़कर गोलियां चलाईं। ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान में आ गए हों, जलियांवाला बाग नरसंहार न दोहरा दिया जाए। पीड़ितों ने बताया कि यदि 15 मिनट में पुलिस न आती तो पता नहीं क्या होता। एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें उपद्रवी नल्हड़ महादेव मंदिर को घेरने के लिए पहाड़ी पर चढ़ते दिख रहे हैं।
ब्रजमंडल जल अभिषेक यात्रा में शामिल एक श्रद्धालु ने बताया कि सबकुछ शांतिपूर्ण चल रहा था। हमारे साथ हजारों महिलाएं थीं, बच्चे थे। सबकुछ शांतिपूर्ण चल रहा था। हमारी जैसे ही यात्रा शुरू हुई। जैसे ही गाड़ी आगे चली तो पथराव हो गया। किसी ने कहा कि पथराव हो गया है। हमने कहा कि पथराव नहीं होगा क्योंकि तीन साल से यह यात्रा चल रही है। लेकिन जब थोड़ा आगे चला तो आग के गुबार देखे। इस पर बच्चे और महिलाएं कांप उठे। सभी साथियों को किसी तरह पीछे लाए। धीरे-धीरे सभी नल्हड़ महादेव मंदिर पहुंचे। दो किलोमीटर दूर से आग के गुबार दिख रहे थे। एक घंटे के बाद उपद्रवी मंदिर के पास आने लगे। उपद्रवियों ने गाड़ियों में आग लगानी शुरू कर दी। इसी बीच एक गोली हमारे साथी को लगी। वहां पर तीस गाड़ियों में आग लगाई। इसके बाद वे पहाड़ी पर तीनों तरफ चढ़ गए। उनके हाथों में हथियार थे। उनकी गोली मंदिर के प्रांगण में आई। करीब 500 मीटर की दूरी थी। दो साथियों को गोली लगी। वहां का मंजर खतरनाक था। अल्लाह हू अकबर के नारे लगा रहे थे। हमें लग रहा था कि हम पाकिस्तान में आ गए, हमें लग रहा था कि आज जलियांवाला बाग नरसंहार दोबारा होगा। अगर पुलिस 15 मिनट में न आती तो हालात और बुरे होते। पता नहीं क्या होता।
एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि हमने देखा कि हजारों लोगों की भीड़ आ गई थी। आगजनी शुरू हो गई थी। हमने भागकर मंदिर में शरण ली। मंदिर को घेर लिया गया था। उपद्रवी पेट्रोल बम का इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसा लग रहा था पूरा षड्यंत्र रचा गया।
भादस गांव के शक्ति सिंह नगीना में हलवाई की दुकान पर काम करके अपने घर जाने के लिए शाम को निकले। वह शोभायात्रा का हिस्सा भी नहीं थे। मुसलमानों ने उसे घर वापस जाने से पहले ही रास्ते में दबोच लिया और पीट-पीटकर मार डाला। शव को सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। पुलिस को झाड़ियों से शक्ति का शव मिला। परिजनों ने बताया कि शक्ति सिंह घर में कमाने वाले अकेले थे। उनके 4 बच्चे हैं और नगीना में एक हलवाई की दुकान पर वह काम करते थे। रात को जब वह दुकान से वापस आ रहे थे तो गांव भादस के पास ही मुस्लिम समुदाय के दंगाइयों ने घेर लिया और जान से मार दिया। परिजन ने पूछा कि आखिर शक्ति का क्या दोष था?