लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इन दिनों भारतीय सेना में अपने असाधारण योगदान और मजबूत सैन्य नेतृत्व के लिए पूरे देश में सराहे जा रहे हैं। उन्हें हाल ही में देश के सर्वोच्च युद्धकालीन सम्मानों में से एक, ‘उत्तम युद्ध सेवा मेडल’ से सम्मानित किया गया, जो उन्हें 4 जून 2025 को ‘डिफेंस इन्वेस्टीचर सेरेमनी 2025 (फेज-II)’ के दौरान प्रदान किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें न केवल उनकी बहादुरी के लिए, बल्कि युद्ध जैसे संकटपूर्ण हालात में असाधारण संचालन नेतृत्व के लिए दिया गया है। यह पदक युद्ध अथवा संघर्ष की स्थिति में प्रदान किया जाने वाला ‘अति विशिष्ट सेवा मेडल’ का युद्धकालीन रूप है, जिसे सभी रैंकों के सैन्यकर्मियों को विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।
इससे इतर, 9 जून 2025 को लेफ्टिनेंट जनरल घई को भारतीय सेना में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पद, ‘डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रेटेजी)’ भी सौंपा गया। यह पद सेना की रणनीतिक तैयारियों, ऑपरेशनल प्लानिंग और इंटेलिजेंस मामलों की निगरानी करता है। फिलहाल वह ‘डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO)’ के रूप में भी कार्यरत हैं, जो देश की सैन्य कार्रवाईयों का एक अत्यंत संवेदनशील और निर्णायक पद है।
जनरल घई की बहादुरी की सबसे बड़ी मिसाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ है, जिसे उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के जवाब में लीड किया था। उस हमले में 26 निर्दोष हिंदू पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद भारत ने निर्णायक सैन्य कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भीतर मौजूद 9 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया और 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया। इस कार्रवाई ने भारत की रणनीतिक दृढ़ता और सैन्य क्षमता का जोरदार प्रदर्शन किया। जनरल घई ने इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान के DGMO के फोन कॉल का जवाब भी ठोस सैन्य कूटनीति के साथ दिया और भारत की प्रतिक्रिया को ‘राख से राख’ कहकर परिभाषित किया – एक वाक्यांश जो अब राष्ट्रीय सुरक्षा विमर्श का प्रतीक बन गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल घई की नेतृत्व क्षमता और समर्पण सिर्फ युद्धक्षेत्र तक सीमित नहीं है। साल की शुरुआत में उन्होंने मणिपुर का दौरा कर भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा हालात का निरीक्षण किया और वहां की स्थिति के अनुसार बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक समन्वय को मजबूत करने के निर्देश दिए। इससे पहले उन्होंने जम्मू-कश्मीर के चिनार कॉर्प्स का नेतृत्व किया था और अक्टूबर 2024 में DGMO का पदभार ग्रहण किया।
उनकी बेटी शरण घई ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के प्रति गर्व और प्रेम व्यक्त करते हुए उन्हें “कूल डैड” बताया और लिखा, “यह देखकर खुशी हुई कि अब सब लोग जान गए कि आप कितने कूल हैं, डैड। लव यू, और अब इंतजार है आपके अगले अद्भुत कामों का।” यह भावुक संदेश देश की सेवा में लगे एक सैन्य अधिकारी के पारिवारिक जीवन की झलक भी देता है।
कुमाऊं रेजिमेंट से आने वाले लेफ्टिनेंट जनरल घई का करियर सैन्य नेतृत्व, रणनीतिक सोच और राष्ट्र के प्रति निःस्वार्थ समर्पण की मिसाल है। आज वे भारतीय सेना के उन चेहरों में से हैं, जिन्होंने न केवल मोर्चे पर बल्कि नीति और रणनीति के स्तर पर भी भारत को सशक्त बनाया है।