भारत-रूस आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक गठबंधन
पृष्ठभूमि:
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22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान समर्थित आतंकियों और उनके सैन्य अड्डों पर जवाबी मिसाइल हमले किए।
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इस हमले के बाद भारत का बहुदलीय सांसदों का डेलीगेशन दुनिया भर में जाकर पाकिस्तान की आतंक-समर्थक नीतियों को उजागर कर रहा है।
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पहला पड़ाव: रूस, जहां भारत को प्रबल समर्थन मिला है।
रूस का स्पष्ट और कड़ा बयान:
बयान देने वाले:
रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको
मुख्य बातें:
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रूस ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को पूरी तरह समर्थन देने का वादा किया।
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“बिना किसी समझौते या शर्त के” आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ साझा कार्रवाई की प्रतिबद्धता दोहराई।
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पहल: संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, और एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) जैसे वैश्विक मंचों पर भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई।
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रूस ने कश्मीर के पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई।
सांसद प्रतिनिधिमंडल और रूस के बीच संवाद:
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व:
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कनिमोई करुणानिधि (DMK सांसद)
बैठक में शामिल:
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लियोनिद स्लटस्की – रूस के ड्यूमा (निचले सदन) की अंतरराष्ट्रीय मामलों की समिति के प्रमुख
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आंद्रेई डेनिसोव – रूसी फेडरेशन काउंसिल के प्रथम उपाध्यक्ष
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रूसी संसद के अन्य सदस्य और सीनेटर
सार्वजनिक संकेत और रणनीतिक संदेश:
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पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी: अब भारत अकेले नहीं, बल्कि बड़े वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर कर रहा है।
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चीन की बेचैनी: भारत-रूस घनिष्ठता से चीन असहज हो सकता है, क्योंकि वह पाकिस्तान का स्थायी रक्षक रहा है।
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BRICS एकजुटता: भारत अब केवल पश्चिमी देशों पर नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ में भी मजबूत समर्थन खड़ा कर रहा है।
निष्कर्ष:
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रूस का यह समर्थन केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी की पुनः पुष्टि है।
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भारत की कूटनीतिक सक्रियता आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक दबाव बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रही है।
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आने वाले समय में BRICS, SCO, और G20 जैसे मंचों पर भारत को और अधिक सहयोग व नैतिक समर्थन मिल सकता है।