Axiom-4 मिशन क्या है?
Axiom-4 मिशन अमेरिका की प्राइवेट कंपनी Axiom Space द्वारा ऑपरेट किया जा रहा एक कमर्शियल अंतरिक्ष मिशन है. इस मिशन में NASA और SpaceX भी साझेदार हैं. इसे ‘मिशन आकाश गंगा’ भी कहा जा रहा है. यह मिशन 11 जून 2025 को अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के Crew Dragon C213 यान के जरिए लॉन्च होगा.
यह यान लगभग 28 घंटे की यात्रा करके इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचेगा और 14 दिन वहीं रुकेगा. इस मिशन का मकसद वैज्ञानिक प्रयोग, प्रशिक्षण और मानव अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी है. भारत ने इस मिशन में एक स्थान 550 करोड़ रुपये खर्च कर खरीदा है, ताकि भविष्य के अपने मानव मिशनों के लिए अनुभव हासिल किया जा सके.
इस मिशन पर कौन-कौन जा रहा है?
- पैगी व्हिटसन (Peggy Whitson) – मिशन कमांडर और NASA की पूर्व अंतरिक्ष यात्री. सबसे अधिक समय अंतरिक्ष में बिताने वाली अमेरिकी महिला.
- शुभांशु शुक्ला – भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट, Axiom-4 के पायलट. वह 15 साल तक कॉम्बैट पायलट रह चुके हैं.
- स्लावोस्ज़ उज़्नान्स्की-विल्निविस्की – पोलैंड के ESA परियोजना अंतरिक्ष यात्री.
- टिबोर कापू – हंगरी के ESA परियोजना अंतरिक्ष यात्री.
इस मिशन से कौन-कौन से रिकॉर्ड बनेंगे?
- शुभांशु शुक्ला होंगे:
- 1984 के बाद अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय.
- ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री.
- स्लावोस्ज़ होंगे:
- 1978 के बाद स्पेस जाने वाले दूसरे पोलिश अंतरिक्ष यात्री.
- टिबोर कापू:
- 1980 के बाद दूसरे हंगेरियन अंतरिक्ष यात्री.
- पैगी व्हिटसन:
- अपने दूसरे कमर्शियल मिशन की कमान संभालेंगी और सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने का अपना रिकॉर्ड और मजबूत करेंगी.
ISS पर अंतरिक्ष यात्री क्या करेंगे?
- मिशन के दौरान कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग (Experiments) किए जाएंगे.
- शुभांशु शुक्ला अकेले 7 एक्सपेरिमेंट करेंगे जो भारत-केंद्रित होंगे.
- इनमें माइक्रोग्रैविटी में अंकुरण (Sprouting) जैसे प्रयोग शामिल हैं:
- हरा चना, मेथी, मूंग जैसी चीज़ों को अंतरिक्ष में उगाने की कोशिश की जाएगी.
- लौटने के बाद यह देखा जाएगा कि इनमें कैसा जैविक और रासायनिक बदलाव आया.
Axiom के अनुसार, ये प्रयोग भविष्य में भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा मिशनों की वैज्ञानिक तैयारी का हिस्सा हैं.
भारत को इस मिशन से क्या फायदा होगा?
- गगनयान मिशन के लिए तैयारी: शुभांशु शुक्ला गगनयान के लिए शीर्ष दावेदार माने जा रहे हैं. Axiom-4 से उन्हें जरूरी अनुभव मिलेगा.
- माइक्रोग्रैविटी में अनुसंधान का अनुभव: भारत के वैज्ञानिकों को नए डेटा और अनुभव मिलेंगे.
- अंतरिक्ष डिप्लोमेसी और तकनीकी सहयोग: भारत ने मिशन में शामिल होकर वैश्विक अंतरिक्ष नेटवर्क में अपनी उपस्थिति मजबूत की है.
SpaceX के रॉकेट को कौन सी बात खास बनाती है?
- Axiom-4 मिशन को SpaceX का Crew Dragon capsule लेकर जाएगा, जो बिल्कुल नया है.
- इसे SpaceX का Falcon 9 रॉकेट लॉन्च करेगा:
- यह एक दो-चरणीय (two-stage) रॉकेट है.
- रीयूजेबल (बार-बार इस्तेमाल होने योग्य) है.
- अंतरिक्ष तक सामान या मनुष्य को ले जाकर, उसका मुख्य हिस्सा वापस धरती पर आ जाता है.
- यह दुनिया का पहला ऑर्बिटल क्लास रीयूजेबल रॉकेट है.
- Falcon 9 की सफलता दर 99.4% है.
निष्कर्ष:
Axiom-4 मिशन भारत के लिए सिर्फ एक उड़ान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम है. यह भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और मानव मिशन की दिशा में एक कदम आगे ले जाता है. शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा ना सिर्फ इतिहास बनाएगी, बल्कि भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की नींव भी मजबूत करेगी.