बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा — पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। वहीं, मतगणना और परिणाम की घोषणा 14 नवंबर को होगी। इस चुनाव में कई हाई-प्रोफाइल सीटें चर्चा में हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं महुआ विधानसभा सीट और राघोपुर विधानसभा सीट, जहाँ लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे — तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव — आमने-सामने की राजनीतिक लड़ाई में हैं।
महुआ सीट से लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। यह पार्टी उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से अलग होकर बनाई है। तेज प्रताप यादव ने इस बार खुलकर अपने छोटे भाई और RJD नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा है कि “तेजस्वी अभी बच्चा है, चुनाव के बाद हम उसे झुनझुना पकड़ाएंगे।” तेज प्रताप ने आगे कहा कि “वो हमारे क्षेत्र में गए तो हम भी उनके क्षेत्र में चले गए। अब हम फिर राघोपुर जाएंगे।” यह बयान साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि दोनों भाइयों के बीच सियासी खाई अब खुलकर सामने आ गई है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से दूर कर दिया था। इसके बाद तेज प्रताप ने RJD से अलग होकर जनशक्ति जनता दल का गठन किया और अपने पिता व भाई दोनों से राजनीतिक दूरी बना ली। अब वे महुआ सीट से अपनी नई पार्टी के प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं और RJD के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं।
दूसरी ओर, राघोपुर विधानसभा सीट से तेजस्वी यादव RJD के उम्मीदवार हैं। यह सीट लालू यादव का पारंपरिक गढ़ मानी जाती है और तेजस्वी ने पिछला चुनाव भी यहीं से जीता था। अब जब उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव खुलकर उनके खिलाफ उतर आए हैं, तो इस बार की लड़ाई न केवल राजनीतिक बल्कि पारिवारिक स्तर पर भी दिलचस्प हो गई है।
महुआ और राघोपुर सीटों पर मतदान 6 नवंबर को पहले चरण के तहत होगा। इस दिन कुल 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग के कार्यक्रम के अनुसार, मतदान के बाद 14 नवंबर को मतगणना होगी और उसी दिन परिणाम जारी किए जाएंगे।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार बिहार का चुनाव यादव परिवार की अंदरूनी कलह और नई राजनीतिक समीकरणों के कारण बेहद रोचक होगा। महुआ और राघोपुर जैसी सीटें न केवल नतीजों के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे इस चुनाव में ‘परिवार बनाम परिवार’ की प्रतीक बन चुकी हैं — जहाँ लालू यादव के दो बेटे अलग-अलग झंडों तले जनता के बीच अपने-अपने समर्थन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
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