गोरखपुर की अदालत ने 2007 गोरखपुर दंगों के मुख्य आरोपित मोहम्मद शमीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। शमीम को 16 साल बाद गिरफ्तार किया गया था। शमीम को 25 जनवरी, 2007 को मोहर्रम के जुलूस के दौरान राजकुमार अग्रहरि नाम के युवक की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है, जिसके बाद उसे सजा सुनाई गई। इस बीच वो 15 साल तक फरारी भी काट चुका है। ये वही मामला है, जिसमें योगी आदित्यनाथ को जेल भी जाना पड़ा था।
जमानत मिलने के बाद फरार हो गया था शमीम
इस मामले में शमीम, उसके अब्बू शफीकउल्लाह को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन शमीम 16 अगस्त, 2007 को जमानत पा गया था और फरार हो गया था। इस मामले में उसके अब्बू शफीकउल्लाह को साल 2012 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, वो अब अपनी सजा काट रहा है। वहीं, शमीम फरार हो गया था और चेन्नई में पहचान छिपाकर रहता था। इस बीच, वो गोरखपुर शिफ्ट हो गया था, जिसके बाद मुखबिर की सूचना पर उसे 16 सितंबर, 2023 को पुलिस ने पूरे 15 साल बाद गिरफ्तार किया था। वो यहाँ भी पहचान छिपाकर किराए के घर में रहा था। इसके एक माह के बाद अब शमीम को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने उम्रकैद के साथ ही लगाया अर्थदंड
इस मामले में गोरखपुर के अपर सत्र न्यायालय कोर्ट नंबर-छह में केस चल रहा था। न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने हत्या के मामले में उसे उम्रकैद की सजा के साथ ही 13,500 रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न चुका पाने की सूरत में उसे 13 माह अतिरिक्त सजा काटनी होगी। कोर्ट ने उसकी हत्या की संलिप्तता को माना और सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अपना फैसला सुनाया।
राजकुमार अग्रहरि की हत्या के बाद सुलगा था गोरखपुर
शमीम और उसके साथियों ने शादी समारोह से लौटते समय राजकुमार अग्रहरि नामक युवक को बुरी तरह से चाकुओ, तलवार से गोद डाला था, जिसकी दो दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरा गोरखपुर सुलग गया था। यही वो मामला है, जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार में मौजूदा मुख्यमंत्री और तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को भी आरोपित बनाया गया था, जिसमें उन्हें 11 दिन के लिए जेल भी जाना पड़ा था।
संसद में फूट-फूट कर रो पड़े थे योगी आदित्यनाथ
बता दें कि दंगों के बाद संसद सत्र में 12 मार्च 2007 को योगी आदित्यनाथ अपनी बात कहने के लिए खड़े हुए। संसद में खड़े होने के बाद वो फूट-फूटकर रोने लगे थे। साथी सांसदों ने उनके आँसू पोछे थे। इस मामले में उन्होंने बताया कि तत्कालीन राज्य सरकार ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया था। इस मामले में योगी आदित्यनाथ पर दंगे भड़काने के आरोप लगाए थे, लेकिन साल 2014 में वो सीडी फर्जी पाई गई, जिसमें योगी आदित्यनाथ के बयान को रिकॉर्ड करने का दावा किया गया था। इस मामले में 2017 में केस को बंद कर दिया गया था।